यूं तो देश में देवी देवताओं के अनेक मंदिर हैं। लेकिन इसके बावजूद हिमालय की गोद में बसे उत्तराखंड को ही देवभूमि का दर्जा प्राप्त है, इसका कारण यह है कि यहां कई हिन्दू देवी-देवताओं का निवास स्थान है।
इसी के चलते साल भर यहां सैलानियों के साथ श्रद्धालुओं का आवागमन लगा रहता है। मनमोहक प्राकृतिक आकर्षणों, घने जगंलों और हिम पर्वतों से घिरा उत्तराखंड दुनिया भर में भारत का प्रतिनिधित्व करता है। प्राकृतिक, सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से यह राज्य काफी ज्यादा मायने रखता है।
ऐसे में आज हम आपको इस पहाड़ी राज्य के सबसे प्रसिद्ध शिव मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका संबंध पौराणिक काल से बताया जाता है, जहां हर रोज दूर-दराज के श्रद्धालुओं का आगमन होता है। यहां तक की देशी-विदेशी सैलानी भी यहां आने का सौभाग्य प्राप्त करते हैं।
1. केदारनाथ:
केदारनाथ को जागृत महादेव भी माना जाता है, दरअलस यहां कई ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं,जिसके चलते यहां भगवान शिव की मौजूदगी मानी जाती है।
दरअसल हिमालय की बर्फीली पहाड़ियों के बीच स्थित केदारनाथ मंदिर भगवान शिव के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में गिना जाता है, जहां सिर्फ देश नहीं बल्कि विश्व भर से श्रद्धालुओं का आगमन होता है।
यह मंदिर भोलेनाथ के 12 सबसे ज्योतिर्लिंगों में भी शामिल है। इसके अलावा भगवान शिव का यह भव्य मंदिर भारत की प्रसिद्ध चार धाम यात्रा में भी गिना जाता है।
यह मंदिर राज्य के रूद्रप्रयाग जिले में स्थित है। बता दें कि सर्दीयों के दौरान मंदिर के द्वार बंद हो जाते हैं, लेकिन अप्रैल से नंवबर के बीच बाबा केदारनाथ के दर्शन किए जान सकते हैं।
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2. जागेश्वर महादेव
उत्तराखंड में अल्मोड़ा के पास स्थित जागेश्वर धाम भगवान सदाशिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है। कहा जाता है कि यह प्रथम मंदिर है जहां-लिंग के रूप में शिवपूजन की परंपरा सर्वप्रथम आरंभ हुई। जागेश्वर को उत्तराखंड का पांचवां धाम भी कहा जाता है।
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जागेश्वर धाम को भगवान शिव की तपस्थली माना जाता है। यह ज्योतिर्लिंग आठवां ज्योतिर्लिंग माना जाता है। इसे योगेश्वर नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर शिवलिंग पूजा के आरंभ का गवाह माना जाता है।
यह भी मान्यता है कि भगवान श्रीराम के पुत्र लव-कुश ने यहां यज्ञ आयोजित किया था, जिसके लिए उन्होंने देवताओं को आमंत्रित किया। कहा जाता है कि उन्होंने ही सर्वप्रथम इन मंदिरों की स्थापना की थी। यह भी माना जाता है कि यहीं से दुनिया में शिव विग्रह यानि शिवलिंग की उत्पत्ति के साथ ही इसकी पूजा शुरु हुई।
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3. तुंगनाथ मंदिर, रुद्रप्रयाग
तुंगनाथ मंदिर विश्व के सबसे ऊंचा शिव मंदर है, जो रूद्रप्रयाग जिले के अंतर्गत गड़वाल हिमालय में स्थित है। यह एक प्राचीन मंदिर है जो पंच के केदार मंदिरों में से एक है।
पौराणिक साक्ष्यों के अनुसार भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पांडवों ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था, क्योंकि भगवान शिव महाभारत के नरसंहार से काफी आहत हुए थे। यह मंदिर चोपता से 6 किमी की दूरी पर स्थित है।
आध्यात्मिक और धार्मिक अनुभव के लिए आप यहां आ सकते हैं। मंदिर का वास्तुकला श्रद्धालुओं के साथ-साथ यहां आने वाले पर्यटकों को भी काफी ज्यादा प्रभावित करती है।
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4. रुद्रनाथ मंदिर, गढ़वाल
उत्तराखंड स्थित भगवान शिव के प्राचीन मंदिरों में आप गढ़वाल के चमोली जिले स्थित रुद्रनाथ मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। यह मंदिर पंच केदार में शामिल एक प्राकृतिक रॉक कट टेंपल है।
यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 2220 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां भोलेनाथ के मुख की पूजा की जाती है, और पूरे शरीर की पूजा नेपाल स्थित पशुपतिनाथ मंदिर में की जाती है।
नंदा देवी और त्रिशूल चोटियां इस मंदिर को खास बनाने का काम करती है। यहां तक पहुंचने के लिए आपको पहले गोपेश्वर आना होगा। इसके अलग यहां का आध्यात्मिक वातावरण श्रद्धालुओं को बहुत हद तक प्रभावित करता है।
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5. बैजनाथ मंदिर, बैजनाथ
भगवान शिव के प्रसिद्ध मंदिरों में आप बैजनाथ मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। यह एक प्राचीन मंदिर है जो गोमती नदी के तट पर स्थित है। जानकारी के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 1204 ईस्वी में अहुका और मन्युका नाम के दो व्यापारियों ने करवाया था।
मंदिर की वास्तुकला देखने लायक है, यहां की दीवारों पर की गई नक्काशी काफी ज्यादा आकर्षित करती है। शिवलिंग मंदिर के मुख्य स्थल(गर्भगृह) में स्थित है। मंदिर के अदंर आपको शिलालेख भी दिखाई देंगे। इसके अलावा आप यहां की दीवारों पर उकेरी गई प्रतिमाओं को भी देख सकते हैं।
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6. बालेश्वर मंदिर चंपावत
उपरोक्त मंदिरों के अलावा आप चंपावत स्थित बालेश्वर मंदिर के दर्शन भी कर सकते हैं। यह एक प्राचीन मंदिर है, जो राज्य के प्रसिद्ध शिव मंदिरों में गिना जाता है। मंदिर की वास्तुकाला और नक्काशी इसके प्राचीन होने के साक्ष्य हैं।
मंदिर परिसर में दो अन्य मंदिर भी हैं एक रत्नेश्वर और दूसरा चम्पावती दुर्गा का। यहां कई सारे शिवलिंग मौजूद हैं। यह मंदिर हिन्दू श्रद्धालुओं की आस्था का मुख्य केंद्र है, इसलिए यहां भक्तों का अच्छा खासा जमावड़ा लगता है।
मंदिर की स्थापत्य कला सैलानियों को भी काफी ज्यादा आकर्षित करती है। यहां से प्राप्त शिलालेख के अनुसार मंदिर का निर्माण 1272 के दौरान चंद वंश द्वारा किया गया था। मंदिर की वास्तुकला बनाने वाले कारीगर की दक्षता को भली भांति प्रदर्शित करती है।
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