सनातन धर्म में प्रथम पूज्य श्रीगणेश जी को आदि पंच देवों में एक माना गया है। मान्यता है कि भगवान श्रीगणेश का ध्यान करने से ही सारे विघ्नों का अंत हो जाता है। इसीलिए उन्हें विघ्न विनाशक भी कहते हैं। वहीं ज्योतिष में श्री गणेश को बुध के कारक देव के रूप में जाना जाता है, और बुध बुद्धि के कारक माने जाते हैं।
यूं तो श्री गणेश के साल में कई त्यौहार मनाए जाते हैं, जिनमें संकष्टी चतुर्थी व विनायक चतुर्थी भी है। दरअसल अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं और पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं।
वहीं इस माह यानि मार्च 2021 के आखिरी दिन बुधवार 31 मार्च को यानि चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी पड़ रही है। जो अप्रैल 2021 के पहले दिन तक रहेगी।
भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी का व्रत गणेश भक्तों के लिए बेहद ही अहम माना गया है, क्योंकि चतुर्थी तिथि भगवान गणेश की प्रिय तिथि है। ज्ञात हो कि हर माह में चतुर्थी दो बार पड़ती है-कृष्ण पक्ष (संकष्टी चतुर्थी) और शुक्ल पक्ष में (विनायक चतुर्थी)। हिंदी कलैंडर के मुताबिक पूरे साल में 13 सकंष्टी चतुर्थी के व्रत किए जाते हैं।
इसमें संकष्टी चतुर्थी का अर्थ होता है, सभी संकटों को हरने वाली। वहीं विनायक चतुर्थी की तरह ही संकष्टी चतुर्थी में भी भगवान शिव के पुत्र गणेश भगवान की पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन गणेश भगवान की कृपा पाने के लिए भक्त व्रत भी रखते हैं। मान्यता के अनुसार संकष्टी चतुर्थी व्रत मनोकामना पूर्ण करने वाला होता है, साथ ही यह भी माना जाता है जो व्यक्ति इस दिन व्रत करता है उसके सभी दुख खत्म हो जाते हैं।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार इस दौरान गणेश जी की आरती, उनके मंत्र और चालीसा का पाठ पूरी श्रद्धा के साथ किए जाने से समस्त मनोकामनाएं पूरी होती है।
इसके अतिरिक्त इस व्रत को करने से विघ्नहर्ता गणेश भगवान जातक की सभी परेशानियां और बाधाएं दूर कर देते हैं। यह व्रत विशेष तौर पर माताएं अपनी संतान की उन्नति के लिए करती हैं।
संकष्टी चतुर्थी व्रत तिथि आरंभ एवं समाप्ति समय : Shubh Mahurat
चतुर्थी तिथि आरंभ- 31 मार्च 2021 दिन बुधवार दोपहर 02 बजकर 06 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्त- 01 मार्च 2021 दिन गुरुवार सुबह 10 बजकर 59 मिनट पर
भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व : IMPORTANCE of Bhalchandra Sankashti Chaturthi
हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी व्रत को अत्यंत विशेष माना गया है। माना जाता है कि गणेश भगवान इस व्रत को करने वाले जातकों के जीवन के कष्ट और बाधाएं हर लेते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान गणेश की पूजा अर्चना करने से धन, यश, वैभव, बुद्धि व अच्छी सेहत की प्राप्ति होती है।
भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी व्रत की पूजा विधि:
: भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह उठकर नित्यकर्म और स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण करें।
: इसके बाद पूजाघर साफ करके भगवान श्री गणेश का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
: इसके बाद गणेश भगवान की पूजा-अर्चना करें, उनके समक्ष धूप-दीप प्रज्वलित करें। औा गणेश जी को पुष्प, अक्षत, पंचामृत और दूर्वा अर्पित करें।
: श्री गणेश को लड्डू और मोदक अर्पित करें।
: इसके बाद गणेश जी की आरती करके संकष्टी चतुर्थी व्रत के महातम्य की कथा पढ़े या श्रवण (सुने) करें।
: भगवान गणेश के मंत्रों का जाप करें।
मंत्र: - वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
- ॐ श्री गं गणपतये नम: का जाप करें।
: सारा दिन व्रत रहने के बाद चांद निकलने से पहले गणेश भगवान की पूजा करें और चंद्रमा को अर्घ्य दें।
: फिर व्रत का पारण करें।
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