श्री राम के भक्त हनुमान जी कलयुग के देवता माने गए हैं। ऐेसे में 11वें रुद्रावतार श्री हनुमान को हर कोई प्रसन्न कर उनकी कृपा पाना चाहता है। लेकिन कई बार हम तमाम कोशिश करने के बावजूद हनुमान जी की कृपा से या तो अनिभिज्ञ रह जाते हैं या कभी अपनी साधना में पूर्णता नहीं कर पाने के चलते हमें उनके आशीर्वाद का पूरा लाभ नहीं मिल पाता है।
हनुमान जी को प्रसन्न करने के संबंध में कई प्रकार की मान्यताएं हैं, पडितों व जानकारों के अनुसार हनुमान जी भी भगवान शिव की तरह ही जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता हैं, अत: उन्हें प्रसन्न करने के कई सरल उपाय हैं।
ऐसे में आज हम आपको श्री हनुमान को प्रसन्न करने की खास विधि बता रहे हैं। दरअसल जानकारों के अनुसार भौतिक मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए बजरंग बाण अमोघ माना जाता है। इसके विलक्षण प्रयोग के संबंध में पंडित सुनील शर्मा का कहना है कि हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए...
अपने इष्ट कार्य की सिद्धि के लिए मंगल अथवा शनिवार का दिन चुन लें। हनुमानजी का एक चित्र या मूर्ति जप करते समय सामने रख लें। ऊनी अथवा कुशासन बैठने के लिए प्रयोग करें।
अनुष्ठान के लिए शुद्ध स्थान तथा शान्त वातावरण आवश्यक है। घर में यदि यह सुलभ न हो तो कहीं एकान्त स्थान अथवा एकान्त में स्थित हनुमानजी के मन्दिर में प्रयोग करें।
ध्यान रहे हनुमान जी के अनुष्ठान मे अथवा पूजा आदि में दीपदान का विशेष महत्व होता है। वहीं पांच अनाजों (गेहूं, चावल, मूँग, उड़द और काले तिल) को अनुष्ठान से पूर्व एक-एक मुट्ठी प्रमाण में लेकर शुद्ध गंगाजल में भिगो दें। अनुष्ठान वाले दिन इन अनाजों को पीसकर उनका दीया बनाएं।
बत्ती के लिए अपनी लम्बाई के बराबर कलावे का एक तार लें अथवा एक कच्चे सूत को लम्बाई के बराबर काटकर लाल रंग में रंग लें। अब इस धागे को पांच बार मोड़ लें। इस प्रकार के धागे की बत्ती को सुगन्धित तिल के तेल में डालकर प्रयोग करें। समस्त पूजा काल में यह दिया जलता रहना चाहिए। हनुमानजी के लिए गूगुल की धूनी की भी व्यवस्था रखें।
जप के प्रारम्भ में यह संकल्प अवश्य लें कि आपका कार्य जब भी होगा, हनुमानजी के निमित्त नियमित कुछ भी करते रहेंगे। अब शुद्ध उच्चारण से हनुमान जी की छवि पर ध्यान केन्द्रित करके बजरंग बाण का जाप प्रारम्भ करें। “श्रीराम–” से लेकर “–सिद्ध करैं हनुमान” तक एक बैठक में ही इसकी एक माला जप करनी है।
मान्यता है कि हनुमान जी अजर-अमर हैं और वे अपने भक्तों पर कृपा कर उनके सारे कष्ट हर लेते हैं। वह हर युग में अपने भक्तों की समस्याओं का समाधान करते हैं। माना जाता है कि हनुमान एक ऐसे देवता है जो थोड़ी-सी प्रार्थना और पूजा से ही शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। मंगलवार और शनिवार हनुमान जी के पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ दिन है।
माना जाता है कि गूगुल की सुगन्धि देकर जिस घर में बगरंग बाण का नियमित पाठ होता है, वहां दुर्भाग्य, दारिद्रय, भूत-प्रेत का प्रकोप और असाध्य शारीरिक कष्ट आ ही नहीं पाते। समय की कमी में जो व्यक्ति नित्य पाठ करने में असमर्थ हो, उन्हें कम से कम प्रत्येक मंगलवार को यह जप अवश्य करना चाहिए।
श्री बजरंगबली जी के बारह नाम और इनकी महिमा...
1-हनुमान
2-अंजनी सुत
3-वायु पुत्र
4-महाबल
5-रामेष्ट
6- फ़ाल्गुण सखा
7-पिंगाक्ष
8-अमित विक्रम
9-उदधिक्रमण
10-सीता शोक विनायक
11-लक्ष्मण प्राण दाता
12-दशग्रीव दर्पहा
मान्यता के अनुसार प्रातःकाल सोकर उठते ही उसी अवस्था में इन बारह नामों को 11 बार लेने वाला व्यक्ति दीर्यायु होता है।
: वहीं दोपहर में नाम लेने वाला व्यक्ति धनवान होता है। संध्या के समय नाम लेने वाला व्यक्ति पारिवारिक सुखों से तृप्त होता है।
: जबकि रात्रि को सोते समय नाम लेने वाला व्यक्ति शत्रु पर विजयी होता है।
वहीं माना जाता है कि इन समय के अतिरिक्त इन बारह नामों का निरन्तर जाप करने वाले व्यक्ति की श्री हनुमान जी दसों दिशाओं एवं आकाश-पाताल में भी रक्षा करते हैं।
ये है मान्यता...
- यात्रा के समय और न्यायालय में पड़े विवाद के लिये ये बारह नाम अपना चमत्कार दिखाते हैं।
- लाल स्याही में मंगलवार को भोज-पत्र पर ये बारह नाम लिखकर मंगलवार के ही दिन ताबीज बांधने से कभी सिर दर्द नहीं होगा। गले या बाजू में ताबें का ताबीज ज्यादा उत्तम है। भोज-पत्र पर लिखने के काम आने वाला पैन या साईन पैन नया होना चाहिए।
इसके अलावा सुन्दर काण्ड का पाठ हर दिन किया जाए, यदि ना संभव को तो कर मंगलवार और शनिवार को किए जाने पर भी हनुमान जी के कृपा प्राप्त होती है।
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