अक्षय से आशय है जिसका कभी क्षय ना हो अर्थात् जो कभी नष्ट ना हो। अक्षय-तृतीया के दिन किसी भी शुभ कार्य को बिना मुहूर्त्त देखे ही प्रारम्भ किया जा सकता है। इन शुभ कार्यों में व्यापार, विवाह संस्कार, मुण्डन, नामकरण, वधूप्रवेश, द्विरागमन, वाहन क्रय, ...
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