सनातन संस्कृति में संहार के देवता शिव माने गए हैं। वहीं इन्हें शंकर, आशुतोष, महादेव, भोलेनाथ सहित अनेक नामों से जाना जाता है। ऐसे में Lord shiv भगवान शिव की पूजा के लिए सप्ताहिक दिनों में Monday: The Day Of Lord Shiv सोमवार श्रेष्ठ माना जाता है। वहीं ज्योतिष के अनुसार इस दिन के कारक देव भी महादेव ही हैं।
संहार के देव होने के बावजूद भगवान शिव अत्यंत भोले हैं, इसीलिए इन्हें Bholenath भोलेनाथ भी कहा जाता है। ऐसे में इस दिन यानि सोमवार को भगवान शिव अत्यंत आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं। जिसके चलते भक्त मनचाहा आशीर्वाद इनसे प्राप्त करते हैं। लेकिन एक ओर जहां शिव अत्यंत सरल व भोले हैं, तो वहीं यह अत्यंत क्रोधी भी हैं, इसलिए इनकी Monday shiv puja rules पूजा के दौरान सतर्क रहना चाहिए। और भूल से भी ऐसी गलती नहीं करनी चाहिए, जिसके कारण भगवान शंकर नाराज हो जाएं।
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मान्यता के अनुसार Puja of lord shiv भगवान शिव की पूजा करने से मनुष्य को जीवन में हर वह सुख मिलता है, जिसकी वह कामना करता है। वहीं यह भी माना जाता है कि यदि कोई भगवान शिव की पूजा में कुछ चूक कर देता है तो उससे केवल देवाधिदेव Mahadev महादेव शिव ही नहीं, बल्कि उनका पूरा परिवार ही क्रोधित हो जाता है।
इस संबंध में पंडित सुनील शर्मा के अनुसार Puja of Shiv शिवजी की पूजा से जुड़ी कुछ विशेष बातें हैं, जिसे हर किसी को ध्यान में रखना चाहिए ताकि वह अनजाने में भी कोई ऐसी गलती न कर सकें, जिससे Lord Shiva gets angry भगवान शिव नाराज हो जाएं।
Don't do this work even by mistake: भूल से भी न करें ये काम...
: शिव पर जरा भी अविश्वास न करें और न ही श्रृद्धा में कोई कमी रखें:
भगवान शिव एक ओर जहां अत्यंत भोले हैं वहीं वे अत्यंत दयालु भी है। जो कि भक्त की हल्की सी भी भक्ति से तुरंत प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन यहां ध्यान रखने वाली बात ये है कि वे भक्त की निश्छल भक्ति को ही अधिक महत्व देते है। ऐसे में भूल से भी भगवान शिव पर हल्का सा भी अविश्वास या उन पर श्रृद्धा में थोड़ी सी भी कमी उन्हें नाराज कर देती है।
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: इन बातों का भी रखें ख्याल :
चोरी,जुआ खेलना, माता-पिता और देवी-देवताओं के साथ साधु- संतों का अपमान करने वाले से शिवजी ही नहीं उनका पूरा परिवार ही क्रोधित होता है। वहीं किसी दूसरे के धन और स्त्री पर नजर रखने वालों से भी भगवान शिव नाराज रहते हैं। अत: मुख्य रूप से सोमवार के दिन कभी भी किसी घर आए मेहमान का निरादर न करें।
: न पहनें काला कपड़ा :
भगवान शिवजी के दिन यानि सोमवार को उनकी पूजा करते समय कभी काला वस्त्र धारण न करें। माना जाता है कि भगवान शिव को ही नहीं उनके पुत्र और देवी पार्वती को भी काला रंग पसंद नहीं है। अत: सोमवार के दिन जहां तक हो सके हमेशा सफेद रंग का वस्त्र पहना चाहिए, यदि वह उपलब्ध न हो तो हरा, लाल, सफ़ेद, केसरिया, पीला या आसमानी रंग के वस्त्र भी धारण किए जा सकते हैं।
: भूलकर भी न चढ़ाएं भगवान शिव पर ये चीजें:
शिवजी की पूजा में केतकी का फूल और तुलसी नहीं चढ़ाई जाती है। भगवान शिव के अलावा तुलसी और केतकी भगवान गणेश जी को भी नहीं चढ़ाए जाते हैं। इसके अलावा भगवान शिव को कभी शंख से जलाभिषेक न करें।
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इनसे लगता है पाप : मान्यता के अनुसार यदि भगवान शिवजी की पूजा में खंडित चावल चढ़ाएं जाते है तो व्यक्ति पाप का भागी बनता है। वहीं भगवान शिव की पूजा के दौरान भूल कर भी कभी उन्हें हल्दी और कुमकुम को न चढ़ाएं।
माना जाता है कि यदि कोई उन्हें हल्दी और कुमकुम चढ़ाता है तो ऐसा करने वाला उनके क्रोध के भागी बन सकता है। शिव जी को आप नारियल तो चढ़ा सकते हैं, पर नारियल का पानी नहीं चढ़ाना चाहिए।
keep these things in mind: 16 सोमवार व्रत करने वाले इन बातों का भी रखें ध्यान...
: सूर्योदय से पहले उठकर पानी में कुछ काले तिल डालकर नहाना चाहिए। इस दिन सूर्य को हल्दी मिश्रित जल चढ़ाने के बाद भगवान शिव की उपासना करें।
: इस दौरान सबसे पहले तांबे के पात्र में शिवलिंग को रखकर भगवान शिव का अभिषेक जल या गंगाजल से करें, परंतु विशेष मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए दूध, दही, घी, शहद आदि सामग्रियों से अभिषेक की विधि प्रचलित है।
: इसके बाद ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र के द्वारा श्वेत फूल, सफेद चंदन, चावल, पंचामृत, सुपारी, फल और गंगाजल या स्वच्छ पानी से भगवान शिव और पार्वती का पूजन करना चाहिए।
: अभिषेक के दौरान पूजन विधि के साथ-साथ शिव मंत्रों का जाप भी बेहद आवश्यक माना जाता है।
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: शिव-पार्वती की पूजा के बाद सोमवार की व्रत कथा करें। फिर आरती करने के बाद भोग लगाएं और घर परिवार में बांटने के बाद स्वयं ग्रहण करें।
: नमक रहित प्रसाद ग्रहण करें।
: इस दिन दोहपर में शयन न करें।
: हर सोमवार पूजन का समय निश्चित रखें। इस दिन एक ही समय एक ही प्रसाद ग्रहण करें।
: व्रत के दौरान 16 सोमवार तक जो खाद्य सामग्री ग्रहण करें उसे एक स्थान पर बैठकर ग्रहण करें, चलते फिरते नहीं।
: हर सोमवार एक विवाहित जोड़े को उपहार (फल, वस्त्र या मिठाई) दें।
: 16 सोमवार तक प्रसाद और पूजन के जो नियम और समय निर्धारित करें उसे खंडित ना होने दें।
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