Guru Pushya 2021
धर्मशास्त्रों के अनुसार देवगुरु बृहस्पति का पुष्य नक्षत्र में आने से यह समय अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है, क्योंकि देवगुरु बृहस्पति को पुष्य नक्षत्र का अधिष्ठाता देवता माना गया है। देवगुरु बृहस्पति महर्षि अंगिरा के पुत्र और देवताओं के पुरोहित हैं। इन्होंने प्रभास तीर्थ में भगवान शंकरजी की कठोर तपस्या की थी जिससे प्रसन्न होकर प्रभु ने उन्हें देवगुरु का पद प्राप्त करने का वर दिया था। इनका वर्ण पीला है तथा ये पीले वस्त्र धारण करते हैं। नक्षत्र स्वामी शनि होने से इस दिन शनिदेव का विशेष पूजन और भगवान विष्णु जी की आराधना करने से ये देवता प्रसन्न होकर शुभ आशीष देते हैं।
पुष्य नक्षत्र का स्वभाव शुभ होता है। अत: यह नक्षत्र शुभ संयोग निर्मित करता है। इस दिन देवगुरु बृहस्पति का पूजन और मंत्र जाप करने से सभी काम सफल हो जाते हैं और इसका शुभ फल चिरस्थायी रूप से प्राप्त होता है।
पुष्य नक्षत्र के देवता- गुरु,
नक्षत्र स्वामी- शनि,
आराध्य वृक्ष- पीपल,
नक्षत्र प्राणी- बकरी,
तत्व- अग्नि।
गुरु-पुष्य नक्षत्र के इस अति शुभ योग में देवगुरु बृहस्पति, भगवान शनि और श्रीहरि का पूजन-अर्चन करके उन्हें प्रसन्न करने से जीवन की तमाम परेशानियों, संकट, रोग व दरिद्रता आदि नष्ट होकर जीवन में सबकुछ शुभ ही शुभ घटित होता है और जीवन के हर क्षेत्र में शुभ फल मिलने लगते हैं। इस नक्षत्र में पूजन-अर्चन और मंत्र जाप करने से जीवन के सभी कष्ट, संकट दूर होते हैं। इसके साथ ही गुरु-पुष्य नक्षत्र के दिन पीपल का पूजन तथा निम्न मंत्रों का जाप अति लाभकारी माना गया है।
जानें पुष्य नक्षत्र के पौराणिक मंत्र-
मंत्र-
- वंदे बृहस्पतिं पुष्यदेवता मानुशाकृतिम्। सर्वाभरण संपन्नं देवमंत्रेण मादरात्।।
वेद मंत्र-
- ॐ बृहस्पते अतियदर्यौ अर्हाद दुमद्विभाति क्रतमज्जनेषु।
यददीदयच्छवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविण धेहि चित्रम।
पुष्य नक्षत्र का नाम मंत्र-
- ॐ पुष्याय नम:।
पुष्य नक्षत्र देवता के नाम का मंत्र-
- ॐ बृहस्पतये नम:।
पीपल वृक्ष का मंत्र :
- आयु: प्रजां धनं धान्यं सौभाग्यं शरणं गत:। देहि देव महावृक्ष त्वामहं शरणं गत:।।
अश्वत्थ ह्युतझुग्वास गोविन्दस्य सदाप्रिय अशेषं हर मे पापं वृक्षराज नमोस्तुते।।
विष्णु मंत्र-
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
- श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
शनि मंत्र-
- 'ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम: तथा ॐ शं शनैश्चराय नम:' का जाप करना चाहिए।
इसके अतिरिक्त गुरु की अनुकूलता प्राप्त करने के लिए धार्मिक स्थलों में खाद्य सामग्री, पीले रंग की दालें, हल्दी, वस्त्रादि, सोना, आदि वस्तुओं का दान देना चाहिए। इस दिन धार्मिक अनुष्ठान पूजा-पाठ, हवन आदि करके अपने सौभाग्य में वृद्धि सकते हैं।
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