Shri Ram Stuti
श्रीराम स्तुति
भोजन करिअ तृपिति हित लागी।
जिमि सो आसन पचवै जठरागी।।
असि हरिभगति सुगम सुखदायी।
को अस मूढ़ न जाहि सोहाई।।
सेववू सेब्य भाव बिनु भव न तरिअ उरगारि।
भजहु रामपद पंकज अस सिद्धांत विचारि।।
अर्थात जिस प्रकार भोजन भूख मिटाने के लिए किया जाता है, परंतु जब वह पेट में जाता है तब जठराग्नि अपने आप उसे पचाकर उसका सारा रस निकालकर शरीर के विभिन्न भागों में पहुंचा देती है। उसी प्रकार प्रभु की भक्ति भी प्रभु मिलन के आनंद के लिए की जाती है, पर इससे मुक्ति अपने आप ही प्राप्त हो जाती है। भक्ति सुगम और सुखदायी है अर्थात भक्ति में हर प्रकार की साधना के सभी फल अपने आप आ जाते हैं। इसलिए कौन मुर्ख होगा, जो उसको नहीं अपनाएगा?
इस भाव को समझे बिना कि सेवक हूं और भगवान मेरे सेव्य अर्थात स्वामी हैं, कोई भी बिना प्रभुकृपा के संसार समुद्र से पार नहीं उतर सकता। ऐसे विचार कर प्रभु के चरण कमलों का भजन कीजिए।
दीपावली पर श्रीराम लंका विजय प्राप्त करके आए थे। दीपावली पर आप श्रीरामजी की स्तुति करते हैं, तो आप भी कष्टों पर विजय प्राप्त कर जीवन के अंधेरे में दीप के प्रकाश जैसा उन्नति व सुखरूपी प्रकाश प्राप्त कर सकते हैं।
।।जा पर कृपा राम की होई, ता पर कृपा करें सब कोई।।
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