सनातन हिंदू धर्म के आदि पंच देवों व त्रिदेवों में से एक भगवान शंकर को यूं भी अत्यंत भोला व जल्द प्रसन्न होने वाला माना जाता है। ऐसे में आने वाले दिसंबर के शुरुआती दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अत्यंत विशेष योग बना रहे हैं।
ऐसे में इस आने वाले महीने में लगातार 3 दिनों तक भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना के साथ ही उन्हें आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है।
पंडित एके शुक्ला के अनुसार दिसंबर 2021 के शुरुआती दिनों में 1 से लेकर 3 तारीख तक का समय भगवान शिव की अराधना के लिए अति विशेष है। दरअसल इस दौरान जहां एक ओर प्रदोष पड़ रहा है, वहीं इसी समय मासिक शिवरात्रि भी आ रही है।
ऐसे में जहां प्रदोष की त्रयोदशी तिथि 1 दिसंबर से 2 दिसंबर तक रहेगी वहीं मासिक शिवरात्रि की चतुर्दशी तिथि 02 दिसंबर 2021 से शुरु होकर 03 दिसंबर 2021 तक रहेगी।
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव (Lord Shiva) को प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि की तिथि अत्यंत प्रिय हैं। वहीं मान्यता के अनुसार कि जो भक्त भगवान शिव के ये व्रत रखते हैं भोलेशंकर उनसे शीघ्र प्रसन्न होकर उन भक्तों की सभी मनोकामनाएं (wishes) पूर्ण करने के साथ ही उन्हें संकटों से भी मुक्ति दिलाते हैं।
पंडितों व जानकारों के अनुसार हर माह कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। जबकि हर माह की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का व्रत (Masik Shivratri Vrat) रखा जाता है।
ऐसे में वर्तमान में चल रहे मार्गशीर्ष माह (Margashirsh Month) में इस बार प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि एक ही दिन पड़ रही है। इस बार 2 दिसबंर के दिन भगवान शिव के भक्त प्रदोष व्रत के साथ ही मासिक शिवरात्रि का व्रत भी रखेंगे।
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भगवान शिव का अत्यंत विशेष दिन होने के कारण इस दिन भक्त पूरे विधि-विधान के साथ भगवान शिव के साथ ही माता पार्वती (Mother Parvati) की पूजा-अर्चना करते हुए उन्हें प्रसन्न करेंगे।
प्रदोष व्रत तिथि दिसंबर 2021 (Pradosh Vrat Tithi 2021)
त्रयोदशी तिथि आरंभ - बुधवार,01 दिसंबर 2021 : 11:35 PM से
त्रयोदशी तिथि समाप्त – बृहस्पतिवार, 2 दिसंबर 2021 को 08:26 PM तक।
वहीं गुरुवार को पड़ने के कारण ये गुरु प्रदोष माना जाएगा। वहीं साल 2021 का आखिरी व दिसंबर का दूसरा प्रदोष व्रत शुक्रवार, 31 दिसंबर को पड़ेगा।
प्रदोष व्रत का पूजा मुहूर्त (Pradosh Vrat Puja Muhurat 2021)
मान्यता के अनुसार प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में ही की जानी चाहिए है। ऐसे में बृहस्पतिवार, 02 दिसंबर को पड़ रहे प्रदोष व्रत की पूजा के शुभ समय के संबंध में पंडित शुक्ला का कहना है कि ये विशेष समय शाम 07 बजकर 19 मिनट से लेकर 09 बजकर 17 मिनट तक रहेगा।
पूजा विधि : प्रदोष व्रत के दिन क्या करें?
1. इस दिन सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करने के पश्चात स्वच्छ कपड़ें पहनने चाहिए।
2. इसके पश्चात घर के मंदिर में दीप जलाने के साथ ही यदि संभव हो तो भगवान शिव के सामने व्रत का संकल्प लेते हुए, इस दिन उपवास करना चाहिए।
3. इस दिन भगवान शंकर का गंगा जल से अभिषेक करने के साथ ही उन्हें पुष्प भी अर्पित करें।
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4. इस दिन माता पार्वती-भगवान गणेश सहित सम्पूर्ण शिव परिवर की पूजा करनी चाहिए।
5. भगवान शिव की पूजा से पूर्व माता पार्वती की पूजा विशेष मानी जाती है।
5. इस दिन केवल सात्विक चीजों का ही भगवान शिव को भोग लगाएं।
6. शिव आरती के अलावा इस पूरे दिन भगवान का मन ही मन जाप करते रहें।
महत्व: प्रदोष व्रत क्यों है विशेष? (Bhaum Pradosh Vrat Importance)
माना जाता है कि प्रदोष व्रत के दिन विश्वास के साथ श्रद्धापूर्वक और नियमपूर्वक करने से भगवान शिव प्रसन्न होकर भक्तों की समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। इसके साथ ही वे भक्तों के सभी कष्टों को भी हर लेते हैं। कहा जाता है कि प्रदोष व्रत के दिन व्रत और पूजा आदि के साथ मंत्र जाप और आरती करने से मनचाहा वर भी मिलता है। इसके अतिरिक्त प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को गंगाजल और सामान्य जल के साथ दूध चढ़ाना शुभ फलदायी माना जाता है।
मासिक शिवरात्रि तिथि दिसंबर 2021 (Masik Shivratri Tithi 2021)
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार मार्गशीर्ष मास की चतुर्दशी तिथि 02 दिसंबर 2021 से शुरु होकर 03 दिसंबर 2021 तक रहेगी।
कृष्ण चतुर्दशी तिथि शुरु: बृहस्पतिवार,02 दिसबंर 2021, 08:26 PM
कृष्ण चतुर्दशी तिथि समापन: शुक्रवार, 03 दिसंबर 2021, 04:55 PM
शिवरात्रि का पूजन रात्रि में करने का विधान है, इसलिए इस बार शिवरात्रि का व्रत 02 दिसंबर को किया जाएगा।
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महत्व: मासिक शिवरात्रि क्यों है विशेष? (Masik Shivratri Importance)
भगवान शिव की शिवरात्रियों में सबसे प्रमुख शिवरात्रि महाशिवरात्रि कहलाती है। माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन पूजा, व्रत करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर होने के साथ ही उनके मन में मौजूद समस्त इच्छाएं भी पूर्ण होती हैं। वहीं हर माह पड़ने वाली शिवरत्रि मासिक शिवरात्रि कहलाती है, जिसके (मासिक शिवरात्रि) संबंध में मान्यता है कि इस दिन पूजा-पाठ करने से घर में सुख-समृद्धि आती है।
मासिक शिवरात्रि भगवान शिव को अत्यंत प्रिय होने के कारण इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है। माना जाता है कि इस दिन रुद्राभिषेक करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कहते हैं कि इस दिन व्रत करने से वैवाहिक जीवन की समस्याओं का भी निराकरण हो जा सकता है।
पूजन विधि व मंत्र : मासिक शिवरात्रि के दिन क्या करें?
: मासिक शिवरात्रि के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नानादि करने के बाद दीप प्रज्वलित करें और व्रत का संकल्प लें।
: यहां ध्यान रहे कि शिवरात्रि की पूजा निशीथ काल (मध्य रात्रि) में करने का विधान है। इसके तहत सबसे पहले स्वच्छ वस्त्र धारण करके पूजा स्थान को साफ कर लें।
इसके पश्चात शिवलिंग का अभिषेक दूध, दही, घी, शहद, गन्ने का रस आदि चीजों से करें।
इसके बाद फिर शिवलिंग का गंगाजल से अभिषेक करें और शिवलिंग पर श्वेत चंदन लगाएं।
जबकि इस संपूर्ण विधि के दौरान भगवान शिव के मंत्र नमः 'शिवाय ऊं नमः शिवाय' का उच्चारण करते रहें और शिवलिंग के समक्ष दीप प्रज्वलित करें।
फिर शिवलिंग पर बिल्वपत्र, धतूरा, सफेद पुष्प,भांग आदि चीजें अर्पित करें। और फिर वहीं आसन पर बैठकर शिव चालीसा और महामृत्युंजय मंत्र या पंचाक्षरी मंत्र का एक माला जाप करें।
महामृत्युंजय मंत्र-
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात्।।
शिव मंत्र-
''नमः शिवाय,ॐ नमः शिवाय''
पूजन पूरा होने के बाद आरती करें और त्रुटि के लिए भगवान शिव से क्षमा याचना करें।
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