Mitra Saptami 2021: शुक्रवार को मित्र सप्तमी, कैसे दें सूर्य को अर्घ्य, इस दिन क्या करें, पढ़ें पूजन विधि एवं नियम

Sun Worship

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इस बार शुक्रवार, 10 दिसंबर 2021 को मित्र सप्तमी (Mitra Saptami) व्रत मनाया जा रहा है। सूर्यदेव का अन्य एक नाम मित्र भी है, जो मित्रों के समान ही प्रेरणा देता है, इसीलिए इसे सूर्य सप्तमी भी कहा जाता है। इस दिन सूर्यदेव का पूजन करना और सूर्य अर्घ्य देना विशेष फलदायी माना जाता है।

मित्र सप्तमी के दिन व्रतधारी को भगवान सूर्यदेव की प्रिय चीजों जैसे सुबह के समय अर्घ्य देना, सूर्यदेव की वस्तुओं से पूजन करना, उनके स्तोत्र, कवच, आदित्य हृदय स्तोत्र आदि का पाठ, मंत्र जाप एवं दान करने से अक्षय पुण्यफल की प्राप्ति होती है।

यहां जानिए कैसे दें सूर्य नारायण को अर्घ्य Surya arghya

 

धर्म और ज्योतिष शास्त्र में भगवान सूर्यदेव के अर्घ्य दान का विशेष महत्व बताया गया है। हर व्यक्ति को प्रतिदिन प्रात:काल तांबे के पात्र में जल भरकर लाल रंग के चंदन, लाल पुष्प, चावल आदि डालकर प्रसन्न मन से सूर्य मंत्र का जाप करते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। जो लोग मित्र सप्तमी के दिन सूर्य अर्घ्य देना चाहते हैं उन्हें निम्न नियमों को ख्याल रखना चाहिए। आइए जानें- 

 

मित्र सप्तमी पूजन विधि एवं नियम- Mitra Saptami Puja Vidhi 

 

1. सप्तमी के दिन सूर्योदय से पूर्व ही शैया त्याग करके रोजमर्रा के कार्य से निवृत्त होकर स्नान करके शुद्ध धुले हुए वस्त्र धारण करें।

 

2. स्नान के पश्चात श्री सूर्य नारायण को 3 बार अर्घ्य देकर प्रणाम करें।

 

3. मित्र सप्तमी के दिन दोपहर के समय केवल 1 बार सूर्यदेव को अंजुली से अर्घ्य दें।  

 

4. सूर्य के मंत्रों का जाप श्रद्धापूर्वक करें।

 

5. आदित्य हृदय का पाठ करें।

 

6. इस दिन व्रत रखकर सिर्फ मीठे फलों का सेवन करें। तेल और नमक का त्याग करें। 

 

7. मित्र सप्तमी पर सायंकाल के समय भूमि पर आसन बिछाकर बैठ जाए और सूर्यदेव को अंजुली से तीन बार अर्घ्य देकर प्रणाम करें।

 

8. अगर मित्र सप्तमी के दिन रविवार पड़ रहा है तो इस दिन नमक, तेल नहीं खाना चाहिए और सिर्फ फल खाना चाहिए।

 

इस तरह के अर्घ्य दान से शीघ्र प्रसन्न होकर भगवान सूर्य आयु, स्वास्थ्य, धन-धान्य, संतान, मित्र, यश, कांति, विद्या तथा वैभव और सौभाग्य प्रदान करते हैं। 

 

Mitra Saptami Par Kya karen  मित्र सप्तमी के दिन क्या करें- 

 

जिस भी दिन मित्र सप्तमी हो, उस दिन जब सूर्यदेव की लालिमा फैल रही हो, तो मुंडन करना चाहिए तथा नदी तट या सरोवर तट पर स्नान करना चाहिए। 

 

सूर्य का षोडशोपचार पूजन करके उपवास रखें। 

 

मित्र सप्तमी के अगले दिन यानी अष्टमी तिथि को दान करने के पश्चात शहद मिला हुआ मीठा भोजन करना चाहिए। 

 

स्वास्थ्य लाभ की कामना से सूर्यदेव को प्रार्थना करनी चाहिए।

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- RK.




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