होलिका दहन, व्रत पूर्णिमा पर क्या हैं ज्योतिष के अनुसार शुभ-अशुभ संयोग

Shubh Muhurta

हिन्दू मास के अनुसार फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा के दिन होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन के दूसरे दिन चैत्रमाह के कृष्‍ण पक्ष की प्रतिपदा के दिन होली मनाने का प्रचलन है। इसे धुलैंडी, धुलण्डी और वसंतोत्सव भी कहते हैं। इसके बाद कृष्‍ण पंचमी पर रंग पंचमी का त्योहार मनाते हैं। आओ जानते हैं कि होलिका दहन के दिन क्या बन रहे हैं शुभ अशुभ संयोग।
 

 

भद्रा का साया : भद्रा होने के कारण विद्वानों द्वारा इस बार 17 मार्च को होलिका दहन और 19 मार्च को होली मनाने की सलाह दी है। 17 मार्च को रात 12 बजकर 57 मिनट के बाद होलिका दहन का योग बन रहा है। इसके पहले पृथ्वीलोक पर भद्रा का विचरण रहेगा। भद्रा में होलिका दहन नहीं हो सकता है। 18 मार्च को दोपहर 12.53 बजे तक पूर्णिमा स्नान होगा और 19 मार्च को लोग होली मनाएंगे। हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार भद्रा वाले मुहूर्त में होलिका दहन करना अनिष्टकारी माना जाता है, लेकिन भद्रा पूंछ में होलिका दहन किया जा सकता है।
 

Holika dahan 2022

होलिका दहन के संयोग : इस दिन मकर राशि में त्रिग्रही योग रहेंगे। मकर में शनि, मंगल और शुक्र की युति रहेगी। कुंभ में बृहस्पति और बुध ग्रह रहेंगे।
 

 

होलिका दहन के शुभ मुहूर्त : फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा 17 मार्च गुरुवार को दोपहर 1.13 बजे से आरंभ हो रही है, जो 18 मार्च शुक्रवार को दोपहर 1.03 बजे तक रहेगी। शुभ मुहूर्त रात 09:20 बजे से रात 10:31 बजे तक है। निशिता मुहूर्त रात्रि 11:42 से 12:30 तक रहेगा।
 

 

अशुभ समय और योग :

राहु काल : मार्च 17 गुरुवार को राहुकाल दोपहर 01:37 से 03:07 तक।

शूल योग : 17 मार्च प्रात: 02:38 AM से 18 मार्च 01:08 AM तक।

यमगण्ड : 06:05:53 से 07:36:05 तक।

भद्रा : दोपहर 01:29 PM से रात्रि 01:12 तक।



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