1. दान देना सीखें : प्रकृति का यह नियम है कि आप जितना देते हैं वह उसे दोगुना करके लौटा देती है। यदि आप धन या अन्न को पकड़ कर रखेंगे तो वह छूटता जाएगा। दान में सबसे बड़ा दान है अन्न दान। गाय, कुत्ते, कौवे, चिंटी और पक्षी के हिस्से का भोजन निकालना जरूरी है।
2. अग्निहोत्र कर्म करें : अग्निहोत्र कर्म दो तरह से होता है पहला यह कि हम जब भी भोजन खाएं उससे पहले उसे अग्नि को अर्पित करें। अग्नि द्वारा पकाए गए अन्न पर सबसे पहला अधिकार अग्नि का ही होता है। दूसरा तरीका है यज्ञ की वेदी बनाकर हवन किया जाता है।
3. भोजन के नियमों का पालन करें : भोजन की थाली को हमेशा पाट, चटाई, चौक या टेबल पर सम्मान के साथ रखकर ही भोजन करें। भोजन करने के बाद थाली में ही हाथ न थोएं। थाली में कभी जूठन न छोड़े। भोजन करने के बाद थाली को कभी, किचन स्टेन, पलंग या टेबल के नीचे न रखें। उपर भी न रखें। रात्रि में भोजन के जूठे बर्तन घर में न रखें। इसी तरह के कई और भी नियम हैं जिनका पालन करें।
4. द्वार-देहरी पूजा : घर की वस्तुओं को वास्तु अनुसार रखकर प्रतिदिन घर को साफ और स्वच्छ कर प्रतिदिन देहरी पूजा करें। जो नित्य देहरी की पूजा करते हैं, देहरी के आसपास घी के दीपक लगाते हैं, उनके घर में स्थायी लक्ष्मी निवास करती है। घर के बाहर शुद्ध केसर से स्वस्तिक का निर्माण करके उस पर पीले पुष्प और अक्षत चढ़ाएं। घर में लक्ष्मी का आगमन होगा।
5. क्रोध-कलह से बचें : घर में क्रोध, कलह और रोना-धोना आर्थिक समृद्धि व ऐश्वर्य का नाश कर देता है। आपस में प्रेम और प्यार बनाए रखने के लिए एक दूसरे की भावनाओं को समझे और परिवार के लोगों को सुनने और समझने की क्षमता बढ़ाएं। घर की स्त्री का सम्मान करें। मां, बेटी और पत्नी का सम्मान जरूरी है।
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