Chaitra Navratri 2022: चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन करें मां चंद्रघंटा की पूजा, जानें मंत्र, आरती एवं भोग

Devi Chandraghanta 
 

नवरात्रि में तीसरे दिन चंद्रघंटा देवी की पूजा का महत्व है। मां चंद्रघंटा का रूप बहुत ही सौम्य है। मां को सुगंधप्रिय है। उनका वाहन सिंह है। उनके दस हाथ हैं। हर हाथ में अलग-अलग शस्त्र हैं। नवरात्रि की तृतीया को देवी चंद्रघंटा की उपासना होती है। वे आसुरी शक्तियों से रक्षा करती हैं। 

 

मां चंद्रघंटा की आराधना करने वालों का अहंकार नष्ट होता है और उनको सौभाग्य, शांति और वैभव की प्राप्ति होती है। देवी की कृपा से साधक को अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं। दिव्य सुगंधियों का अनुभव होता है और कई तरह की ध्वनियां सुनाईं देने लगती हैं। इन क्षणों में साधक को बहुत सावधान रहना चाहिए। इस देवी की आराधना से साधक में वीरता और निर्भयता के साथ ही सौम्यता और विनम्रता का विकास होता है।

 

मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक के समस्त पाप व बाधाएं खत्म हो जाती हैं। मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक पराक्रमी व निर्भय हो जाता है। मां चंद्रघंटा प्रेतबाधा से भी रक्षा करती है, इनकी आराधना से वीरता-निर्भयता के साथ ही सौम्यता एवं विनम्रता का विकास होकर मुख, नेत्र तथा संपूर्ण काया का भी विकास होता है। 

 

पूजन- नवरात्रि में तीसरे दिन इसी देवी की पूजा का महत्व है। मां चंद्रघंटा की उपासना से मनुष्य समस्त सांसारिक कष्टों से मुक्ति पाता है। इसलिए हमें चाहिए कि मन, वचन और कर्म के साथ ही काया को विहित विधि-विधान के अनुसार परिशुद्ध-पवित्र करके चंद्रघंटा के शरणागत होकर उनकी उपासना-आराधना करना चाहिए। इससे सारे कष्टों से मुक्त होकर सहज ही परम पद के अधिकारी बन सकते हैं।

देवी चंद्रघंटा को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालुओं को भूरे रंग के कपड़े पहनने चाहिए। मां चंद्रघंटा को अपना वाहन सिंह बहुत प्रिय है और इसीलिए गोल्डन रंग के कपड़े पहनना भी शुभ है। तृतीया के दिन भगवती की पूजा में दूध की प्रधानता होनी चाहिए और पूजन के उपरांत वह दूध ब्राह्मण को देना उचित माना जाता है। इस दिन सिंदूर लगाने का भी रिवाज है। 

 

भोग- तीसरे दिन मां चंद्रघंटा को सफेद चीज का भोग लगाना चाहिए। जैसे- दूध, खीर का भोग तथा शहद का भोग भी माता को लगाया जाता है।

 

मंत्र- 

महामंत्र-‘या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नसस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:‘

मंत्र- ॐ एं ह्रीं क्लीं

बीज मंत्र है- ‘ऐं श्रीं शक्तयै नम:’

उपासना मंत्र- पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।

 

चंद्रघंटा माता की आरती : Chandraghanta Mata Ki Aarti

 

जय मां चंद्रघंटा सुख धाम

पूर्ण कीजो मेरे काम

चंद्र समान तू शीतल दाती

चंद्र तेज किरणों में समाती

क्रोध को शांत बनाने वाली

मीठे बोल सिखाने वाली

मन की मालक मन भाती हो

चंद्र घंटा तुम वरदाती हो

सुंदर भाव को लाने वाली

हर संकट मे बचाने वाली

हर बुधवार जो तुझे ध्याये

श्रद्धा सहित जो विनय सुनाय

मूर्ति चंद्र आकार बनाएं

सन्मुख घी की ज्योत जलाएं

शीश झुका कहे मन की बाता

पूर्ण आस करो जगदाता

कांची पुर स्थान तुम्हारा

करनाटिका में मान तुम्हारा

नाम तेरा रटू महारानी

'भक्त' की रक्षा करो भवानी।
 

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