ज्योतिषीय अवधारणाओं के अनुसार विवाह के प्रमुख ग्रह देवगुरु बृहस्पति हैं, इन पर नियंत्रण देवी कात्यायनी रखती हैं। ऐसे में जहां देवी कात्यायनी अपने भक्तों को एक निश्चित विधि से पूजा करने पर विवाह में मनचाहा वर या वधु प्राप्ति का वरदान प्रदान करती हैं तो वहीं देवी की पूजा से बृहस्पति के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
दरअसल हिंदू धर्म शक्ति की पूजा का पर्व नवरात्रि ( Navratri ) पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व पूरे साल में चार बार आता है, जिनमें चैत्र नवरात्रि, शारदीय नवरात्रि ( जो दशहरे से पहले आती है - Shardiya Navratri ) के अतिरिक्त दो गुप्त नवरात्रि ( GUPT Navratri ) भी होती हैं। मान्यता के अनुसार मां दुर्गा नौ रूपों की पूजा के इस पर्व पर हर भक्त को मनचाहा वरदान मां से प्राप्त होता है।
पंडित एसके उपाध्याय के अनुसार ऐसे में जिन लोगों का विवाह न हो रहा हो या विवाह में देरी हो रही हो। अथवा कोई किसी खास व्यक्ति से विवाह करना चाहता हो और घर में उसे लेकर सहमति नहीं बन रही हो, तो ऐसी स्थिति में नौदेवी के एक खास रूप की एक निश्चित तरीके से पूजा करने पर ऐसी समस्त परेशानियां दूर हो जाती हैं।
पंडित उपाध्याय के अनुसार यूं तो विवाह ( shadi ) में देरी या परेशानी को हटाने के कई उपाय हैं, लेकिन इसमें सबसे महत्वपूर्ण नवरात्रि का उपाय माना गया है। दरअसल विवाह के मुख्य ग्रह देवगुरु बृहस्पति माने गए हैं। वहीं इन नौदेवियों में से एक देवी ऐसी भी हैं जो इन्हें यानि बृहस्पति को नियंत्रित करती हैं। ऐसे में वे विवाह से जुड़ी समस्त दिक्कतों को भी दूर करतीं हैं।
ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं नवरात्रि के कुछ खास उपाय, जिनकी मदद से आप देवी मां को प्रसन्न कर मनचाहा वर या वधु पा सकते हैं।
कन्याओं के लिए उपाय
दरअसल नवरात्रि में देवी मां का छठवां रूप मां कात्यायनी ( maa katyayni ) का माना जाता है, जो देवगुरु बृहस्पति को नियंत्रित करतीं हैं, वहीं देवगुरु बृहस्पति विवाह के प्रमुख कारक ग्रह हैं। ऐसे में माना जाता है कि जिन कन्याओं के विवाह में विलम्ब हो रहा हो, उन्हें इस दिन मां कात्यायनी की उपासना अवश्य करनी चाहिए, जिससे उन्हें मनोवान्छित वर की प्राप्ति होती है।
ऐसे करें कात्यायनी माता की अराधना : नवरात्रि के छठवें दिन...
विवाह नहीं होने की स्थिति में या किसी तरह की रुकावट आने पर मां कात्यायनी की आराधना भी इस परेशानी से निजाद दिलाती है।
इसके तहत माता कात्यायनी की आराधना करने के लिए प्रात:काल स्नानादि के बाद माता के इस मंत्र से जाप का संकल्प लें...
मंत्र : ॐ कात्यायनी महामये महायोगिन्यधीश्वरी
नंद गोप सुतं देहि पतिं में कुरुते नम:।।
माता के मंत्र जाप के लिए 1माला, 5 माला या 10 माला प्रतिदिन एक समान गिनती में जाप करें। मंत्र की संख्या 1 लाख 8 हजार या कार्य पूर्ण होने तक अपनी सामथ्रर्यनुसार संकल्प कर सकते हैं। संकल्पित मंत्र संख्या पूर्ण होने के बाद या विवाह के बाद यज्ञ(हवन) द्वारा मंत्र जाप का उद्यापन करें। ध्यान रहे क इन सभी उपायों के दौरान इस बात का खास ध्यान रखें कि ये पूरी श्रृद्धा और विश्वास के साथ किए जाएं।
युवकों के लिए उपाय:
जिन पुरुषों के विवाह में बाधा आ रही है। उनके लिए इसे दूर करने का सबसे खास उपाय मां दुर्गा की आराधना करना है।
इसके तहत प्रात:काल स्नानादि करके शुद्ध तन व शुद्ध मन से दुर्गासप्तशती में दिए इस श्लोक का रुद्राक्ष की माला से जाप करें।
मंत्र: पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानु सारिणीम्।
तारिणींदुर्गसं सारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥
नवरात्र की षष्ठी के दिन माता कात्यायनी की पूजा के अन्य लाभ
इसके अतिरिक्त नवरात्रि उत्सव के षष्ठी को उनकी पूजा की जाती है। उस दिन साधक का मन 'आज्ञा चक्र' में स्थित होता है। नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी की उपासना का दिन होता है। इनके पूजन से अद्भुत शक्ति का संचार होता है व दुश्मनों का संहार करने में ये सक्षम बनाती हैं।
इनका ध्यान गोधुली बेला में करना होता है। मां जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए मंत्र को कंठस्थ कर नवरात्रि में छठे दिन इसका जाप करना चाहिए।
मंत्र: या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
अर्थ : हे मां! सर्वत्र विराजमान और शक्ति -रूपिणी प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूं।
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