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क्या होता है नौतपा : ज्येष्ठ माह में सूर्य 15 दिनों के लिए रोहिणी नक्षत्र में भ्रमण करने लगता है। 15 में से प्रारंभ के 9 दिनों को नौतपा कहते है। सूर्य के वृष राशि के 10 अंश से 23 अंश 40 कला तक नौतपा कहलाता है। सूर्य 8 जून तक 23 अंश 40 कला तक रहेगा।
क्या होता है नौतपा में : नौतपा के दौरान सूर्य धरती के सबसे नजदीक रहता है। इस दौरान भारत पर सूर्य की किरणें सीधी लम्बवत पड़ती हैं। जिस कारण तापमान अधिक बढ़ जाता है।
क्यों तपना चाहिए नौतपा : नौतपा के दौरान समुद्र के पानी का तेजी से वाष्पीकरण होता है और तब बादलों का निर्माण होता है। इससे ही मानसून का सिस्टम बनता है। अत: नौतपा में गर्मी का बढ़ना जरूरी है। यदि नौतपा के सभी दिन पूरे तपें, तो यह अच्छी बारिश का संकेत होता है।
क्या होगी इस बार अच्छी बारिश : ज्योतिषियों का मानना है कि इस बार शुरुआती 6 दिनों में गर्मी के साथ ही उमस भी बहुत रहेगी। नौ दिन में से अंतिम 3 दिन हवाएं खूब तेज चलेगी। कहीं-कहीं मध्यम बारिश की संभावना है तो कहीं बौछारें भी हो सकती है। इस बार शुक्र तारे के अस्त होने के कारण बारिश का प्रभाव कम ररहेगा। नौतपा के दौरान 30 मई को शुक्र ग्रह वक्री होकर अपनी ही राशि में अस्त हो जाएगा और सूर्य के साथ रहेगा। सूर्य के साथ शुक्र भी वृषभ राशि में रहेगा। शुक्र रस प्रधान ग्रह है, इसलिए वह गर्मी से राहत भी दिलाएगा। इसलिए देश के कुछ हिस्सों में बूंदाबांदी और कुछ जगहों पर तेज हवा और आंधी-तूफान के साथ बारीश होने की संभावना ज्यादा है। वराहमिहिर के बृहत्संहिता ग्रंथ में ने बताया है कि ग्रहों के अस्त होने से मौसम में बदलाव होता है।
रोहिणी नक्षत्र का असर : रोहिणी नक्षत्र का अधिपति ग्रह चंद्रमा होता है। सूर्य तेज और प्रताप का प्रतीक माना जाता है जबकि चंद्र शीतलता का प्रतीक होता है। सूर्य जब चंद्र के नक्षत्र रोहिणी में प्रवेश करता है तो सूर्य इस नक्षत्र को अपने प्रभाव में ले लेता है जिसके कारण ताप बहुत अधिक बढ़ जाता है। इस दौरान ताप बढ़ जाने के कारण पृथ्वी पर आंधी और तूफान आने लगते है।
एक दूसरे दृष्टिकोण के अनुसार चंद्रमा जब ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष में आर्द्रा से स्वाति नक्षत्र तक अपनी स्थितियों में हो एवं तीव्र गर्मी पड़े, तो वह नवतपा है। मानना है कि सूर्य वृष राशि में ही पृथ्वी पर आग बरसाता है और खगोल शास्त्र के अनुसार वृषभ तारामण्डल में यह नक्षत्र हैं कृतिका, रोहिणी और मृगशिरा (वृषभो बहुलाशेषं रोहिण्योऽर्धम् च मृगशिरसः) जिसमें कृतिका सूर्य, रोहिणी चंद्र, मृगशिरा मंगल अधिकार वाले नक्षत्र हैं इन तीनों नक्षत्रों में स्थित सूर्य गरमी ज्यादा देता है। सौर क्रांतिवृत्त में शीत प्रकृति रोहिणी नक्षत्र सबसे नजदीक का नक्षत्र होता है। जिसके कारण सूर्य गति पथ में इस नक्षत्र पर आने से सौर आंधियों में वृद्धि होना स्वाभाविक है इसी कारण परिस्थितिजन्य सिद्धांत कहता है कि जब सूर्य वृष राशि में रोहिणी नक्षत्र में आता है उसके बाद के नव चंद्र नक्षत्रों का दिन नवतपा है ।
इस वर्ष प्रमादी नामक संवत्सर के राजा बुध है और रोहिणी का निवास संधि में है। इससे बारिश तो समय पर आ जाएगी लेकिन कहीं पर ज्यादा तो कहीं पर कम बारिश हो सकती है। इस बार देश के रेगिस्तानी और पर्वतीय इलाकों में ज्यादा बारिश हो सकती है।
ज्योतिषियों का मानना है कि इस बार 25 मई से खूब तपेगी धरती। यानी रोहिणी गलने के आसार कम हैं। इस बार रोहिणी का निवास समुद्र में है। अतिवृष्टि, समुद्रे स्यात, श्रेष्ठ वृष्टि होने पर धान्य वर्धन होता है। इस बार समय का निवास मालाकार अर्थात माली के घर रहेगा। ऐसी मान्यता है कि माली के घर रहने से वर्षा अच्छी होती है और समय का वाहन भैंसा है, जो कहीं-कहीं कुछ स्थानों पर अतिवृष्टि करवाएगा।
Nautapa
क्या कहती है ग्रहों की स्थिति : ज्योतिष की नजर से देखें तो वृषभ राशि में सूर्य, बुध की युति रहेगी। चूंकि बुध का वर्तमान में वृषभ राशि में गोचर है, इस दृष्टि से उत्तर दिशा विशेष रूप से प्रभावित होगी। पूर्व दिशा में बुध का उदय होने से पूर्व दिशा में वर्षा की स्थिति दिखाई देगी। पहाड़ी क्षेत्रों पर वर्षा का प्रभाव नजर आएगा।
9 में से 3 दिन के तीन भाग अलग-अलग प्रकार के देशों में अलग-अलग प्रकार के योग बनाते हैं, इन्हीं में कहीं-कहीं वर्षा होती है, कहीं उमस पड़ती है, तो कहीं तपिश। ज्योतिषियों का मानाना है कि इस बार शुरुआती 6 दिनों में गर्मी के साथ ही उमस भी बहुत रहेगी। नौ दिन में से अंतिम 3 दिन हवाएं खूब तेज चलेगी। कहीं-कहीं मध्यम बारिश की संभावना है तो कहीं बौछारें भी हो सकती है। बाढ़ और तूफान का अंदेशा भी है। गुरु और शुक्र एक ही राशि पर पड़ रहे हैं। इसके साथ ही इस युति पर बुध की दृष्टि भी पड़ रही है। जिसके कारण कारण अति वृष्टि योग बन रहा है। ऐसे में माना जाता है कि यह योग बाढ़ और भूस्सलन की स्थिति पैदा होगी। ऐसे में कई जगहों पर कम बारिश तो कही पर कम होगी।
ग्रहों की मौजूदा स्थिति को देखकर देश के पूर्वी-पश्चिमी और दक्षिणी भाग में प्राकृतिक दैवीय आपदाएं, आगजनी और दुर्घटना होने की आशंका बन रही है। सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते समय मेष राशि में राहु-शुक्र की युति बनेगी और वृषभ राशि में सूर्य और बुध की युति बनेगी। मीन राशि में मंगल, चंद्र और गुरु की युति रहेगी। केतु तुला राशि में रहेगा। नौतपा के दौरान सूर्य की भीषण गर्मी, धूल भरी आंधी और वर्षा की संभावना हैं। सूर्य, मंगल, बुध और शनी के समसप्तक योग होने से धरती के एक हिस्से में भारी गर्मी पड़ती है।
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