बच्चों की तरक्की के लिए 10 वास्तु उपाय

Study room vastu tips

Vastu Tips : हर कोई चाहता है कि हमारे बच्चे स्वस्थ रहे और पढ़ाई में तेज रहे। इसके लिए जहां बच्चों के उचित खानपान का ध्यान रखना होगा वहीं उनके पढ़ाई करने वाले स्थान को वास्तु के अनुसार ही बनाना होगा। वास्तु के अनुसार सबकुछ रहेगा तो बच्चों की तरक्की होती रहेगी। आओ जानते हैं इसके लिए 10 वास्तु टिप्स।

 

1. अध्ययन की दिशा : पूर्व, ईशा, उत्तर, वायव्य और पश्चिम अध्ययन कक्ष बनाया जा सकता है। कक्ष नहीं है या नहीं बना सकते हो तो इसी दिशा में पढ़ाई की टैबल रखें। इससे बच्चे निरोग रहते हुए उच्च शिक्षा की ओर अग्रसर होंगे।

 

2. पढ़ाई के स्थान पर चित्र : पढ़ने के कक्ष में मां सरस्वती, वेदव्यास या किसी पढ़ते हुए बच्चे का चित्र लगाएं। इसके अलावा किसी हरे तोते का चित्र लगाएं जिससे बच्चे का पढ़ने में तुरंत ही मन लगने लगेगा। उत्तर की दीवार पर तोते, चहकते हुए पक्षी, मोर, वीणा, कलम, पुस्तक, हंस, मछली, जंपिंग फिश या डॉल्फिन का चित्र लगा सकते हैं। 

 

3. किधर रहे बच्चे का मुंह : घर के उत्तर की ओर ही बच्चे का मुंह होना चाहिए और तस्वीरें भी उत्तर की दीवार पर लगी होना चाहिए।

 

4. पीठ के पीछे क्या होना चाहिए : बच्चों की पीठ के पीछे द्वार अथवा खिड़की न हो। उनकी पीठ के पीछे दीवार हो तो चलेगा। 

 

5. दीवारों का रंग : अध्ययन कक्ष की दीवारों का रंग सफेद, पिंकिश या क्रिम ही रखें। गहरे रंगों से बचें। आपके बच्चों की जन्मपत्रिका में लग्नेश, द्वितीयेश, पंचमेश ग्रहों में से जो सर्वाधिक रूप से बली हो अथवा बच्चे की राशी ग्रह के अनुसार उसके कमरे का रंग तथा पर्दे होने चाहिए। पर्दों का रंग दीवार के रंग से थोड़ा गहरा होना चाहिए। 

child study room vastu

6. कंप्यूटर : यदि कम्प्यूटर भी बच्चे के कमरे में रखना हो तो पलंग से दक्षिण दिशा की ओर आग्नेय कोण में कम्प्यूटर रखा जा सकता है।  ऐसी स्‍थिति में कम्प्यूटर टेबल के पास ही पूर्व की ओर स्टडी टेबल स्थित होनी चाहिए।

 

7. रैक : नैऋत्य कोण में बच्चों की पुस्तकों की रैक तथा उनके कपड़ों वाली अलमारी होनी चाहिए।

 

8. पलंग : बच्चों का पलंग अधिक ऊंचा नहीं होना चाहिए तथा वह इस तरह से रखा जाए कि बच्चों का सिरहाना पूर्व दिशा की ओर हो तथा पैर पश्चिम की ओर। बिस्तर के उत्तर दिशा की ओर टेबल एवं कुर्सी होनी चाहिए। यदि बच्चे के कमरे का दरवाजा ही पूर्व दिशा में हो तो पलंग दक्षिण से उत्तर की ओर होना चाहिए। सिरहाना दक्षिण में तथा पैर उत्तर में।

 

9. बॉथरूम : यदि कमरे से ही जुड़े हुए स्नानागार तथा शौचालय रखना हो तो पश्चिम अथवा वायव्य दिशा में हो सकता है।  खिड़की, एसी तथा कूलर उत्तर दिशा की ओर हो।

 

10. रोशनी : बच्चों के कमरे में पर्याप्त रोशनी आनी चाहिए। व्यवस्था ऐसी हो कि दिन में पढ़ते समय उन्हें कृत्रिम रोशनी की आवश्यकता ही न हो। जहां तक संभव हो सके, बच्चों के कमरे की उत्तर दिशा बिलकुल खाली रखना चाहिए। बच्चों के कमरे में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि घर में होने वाला शोरगुल उन्हें बिलकुल बाधित न करे अत: बच्चों के कमरे से घर की तरफ कोई खिड़की या झरोखा खुला हुआ नहीं होना चाहिए।



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