हिन्दू पंचांग का चौथा माह आषाढ़ महीने (Ashadha month) के नाम से जाना जाता है। आषाढ़ माह में भगवान सूर्यदेव और देवी दुर्गा की पूजा का विधान है। यह संधि काल का महीना होता है। वर्षा ऋतु और मौसम के बदलाव के कारण शारीरिक बीमारियों से दूर रहने के लिए इस महीने में कुछ खास चीजों को खाने की मनाई होती है।
पौराणिक मान्यतानुसार आषाढ़ माह में वर्षा के कारण जल में जीव-जंतुओं की उत्पत्ति अधिक बढ़ जाती है, अत: इस माह स्वच्छ जल ही पीना चाहिए तथा इसकी स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए, ताकि पेट से संबंधित रोगों से दूर रहा जा सकें। इन दिनों पानी उबालकर पीना चाहिए।
इस माह में शरीर की पाचन क्रिया धीमी पड़ जाती है, अत: इस मास में स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए। खास कर बारिश के मौसम या चातुर्मास के दौरान खाने-पीने की चीजों और सेहत को लेकर विशेष एहतियात बरतना चाहिए। इस महीने अन्न नहीं खाया जाता, बल्कि सिर्फ रसीले फल खाना उचित रहता है। इस दौरान सात्विक चीजें ग्रहण करना चाहिए।
आइए जानते हैं इस महीने क्या न खाएं...
1. आषाढ़ में हरी सब्जियां, पत्तेदार भाजियां बिलकुल नहीं खाना चाहिए।
2. इस माह जहां तक हो सके तेल वाली चीजें कम खाना उचित रहता है।
3. इस माह बिलकुल भी बेल नहीं खाना चाहिए।
4. आषाढ़ में मांस, मछली का सेवन नहीं करना चाहिए।
5. इन दिनों शराब, मदिरा और अन्य नशीले पदार्थों से दूर रहना चाहिए।
6. इस महीने बैंगन, मसूर की दाल, गोभी, लहसुन और प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए।
7. आषाढ़ का महीना धार्मिक दृष्टि से अधिक महत्व रखता हैं अत: इन दिनों गंध युक्त चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह चीजें मन भटकाव, काम भाव बढ़ाने तथा शरीर और मन की अशुद्धता को बढ़ाती है।
इस महीने में रोगों का संक्रमण अधिक होने के कारण अधिक से अधिक धर्म-कर्म में ध्यान देते हुए और सेहत के प्रति सावधानी रखते हुए खाने-पीने पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
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