Durva mantra
हर वर्ष सावन महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान श्री गणेश की दूर्वा से पूजन करने का विधान है, जिसे दूर्वा गणपति व्रत (Durva Ganpati Vrat) कहते हैं। इस बार यह व्रत 1 अगस्त 2022, सोमवार को किया जाएगा। इसी दिन विनायक चतुर्थी भी है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार सोमवार को श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है। इस दिन भगवान श्री गणेश को दूर्वा की 21 गांठ चढ़ाने की परंपरा (Durva Ganpati Vrat Tradition) है। अत: इसे विनायकी चतुर्थी और दूर्वा गणपति व्रत कहते हैं।
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार विघ्नहर्ता भगवान श्री गणपति जी की आराधना बहुत ही मंगलकारी मानी गई है। इस दिन भक्त विभिन्न प्रकार से श्री गणेश की आराधना करके उनके श्लोक, स्तोत्र, मंत्र तथा जाप द्वारा श्री गणेश जी को प्रसन्न करते हैं।
पुराणों के अनुसार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में दूर्वा गणपति व्रत किया जाता है। इस दिन श्री गणेश का पूजन कर उन्हें दूर्वा अर्पित करने का विशेष महत्व है, अगर आप प्रतिदिन श्री गणेश को दूर्वा अर्पण नहीं कर पा रहे हैं तो घबराने की कोई बात नहीं हैं, भगवान श्री गणेश के कुछ खास दिनों में जैसे विनायकी चतुर्थी, संकष्टी चतुर्थी, श्री गणेश चतुर्थी, बुधवार, गणेश जन्मोत्सव के दिन श्री गणेश को खास तौर पर दूर्वा चढ़ाकर उनका पूजन-अर्चन करेंगे तो निश्चित ही आपके सभी संकटों का निवारण शीघ्र ही होगा।
अभी सावन चल रहा है और इन दिनों शिव-परिवार का पूजन करना अतिलाभदायी माना जाता है। ऐसे में दूर्वा गणपति व्रत (offering durva to shri ganesh ji) के दिन श्री गणेश के पूजन के समय यह मंत्र- (Durva Ganapati Mantra) 'श्री गणेशाय नमः दूर्वांकुरान् समर्पयामि।' बोलते हुए गणेश जी को दूर्वा अर्पण करना चाहिए।
मान्यतानुसार उपरोक्त मंत्र के साथ श्री गणेश जी को दूर्वा (Durva) चढ़ाने से जीवन में चल रही समस्याओं से मुक्ति का मार्ग मिल जाता है तथा श्री गणेश प्रसन्न होकर सुख-संपन्नता का आशीष देते हैं।
आज के मंत्र- Today Ganapati Mantra
इस दिन श्री गणेश के सामने दीया प्रज्वलित करके मंत्र-
- 'ॐ गं गणपतयै नमः'
- 'एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।' का कम से कम 108 बार जाप अवश्य करना चाहिए।
what not to do क्या न करें- गणेश पूजा के दौरान परिक्रमा करते समय श्री गणेश जी के पीठ के दर्शन नहीं करना चाहिए, मान्यतानुसार भगवान श्री गणेश की पीठ पर दरिद्रता का वास होता है। अत: उनकी पीठ के दर्शन न करें तथा इस बात का अवश्य ध्यान रखें।
ganesh vrat 2022
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