जन्माष्टमी 2022 : कब मनाना है सही, क्या कहते हैं विद्वान, क्यों हुआ है भ्रम?

कृष्ण जन्माष्टमी कब मनाना चाहिए? 18 अगस्त को या कि 19 अगस्त को? किस दिन जन्माष्‍टमी की पूजा करना उचित रहेगा या कि श्रीकृष्‍ण को जन्मोत्सव मनाना उचित रहेगा? इस संबंध में पंचांग और विद्वान क्या कहते हैं? आखिर यह भ्रम क्यों है? इन्हीं सभी सवालों का जवाब जानिए। उल्लेखनीय है कि इस बार श्रीकृष्ण का 5250वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा।

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कब हुआ था श्रीकृष्‍ण का जन्म : श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद की अष्टमी तिथि को आठवें मुहूर्त में रात्रि के शून्यकाल में रोहणी नक्षत्र में वृषभ लग्न के संयोग में हुआ था। यानी अष्टमी तिथि के आठवें मुहूर्त में रोहणी नक्षत्र में ही जन्माष्टमी मनाई जाना चाहिए। परंतु वर्तमान में ऐसी स्थिति निर्मित नहीं हो रही है। 20 तारीख को रोहिणी नक्षत्र रहेगा।
 

 

वर्तमान में अष्टमी तिथि : वर्तमान काल में 18 तारीख 2022 अष्टमी तिथि रा‍त्रि 09 बजकर 20 मिनट से प्रारंभ हो रही है जो अगले दिन यानी 19 अगस्त को रात्रि 10:59 तक रहेगी। यानी अष्टमी तिथि अंग्रेजी तारीख के अनुसार दोनों दिन रहेगी। इसीलिए यह भ्रम है।

 

18 अगस्त को क्यों मना रहे हैं लोग जन्माष्टमी : रात्रि 09:20 पर अष्टमी तिथि प्रारंभ हो रही है और श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि के शून्य काल यानी रात्रि करीब 12 बजे हुआ था। दूसरे दिन 19 अगस्त को रात्रि 12 बजे के पहले ही अष्टमी तिथि समाप्त हो रही है तो ऐसे में 18 अगस्त को ही अष्टमी मनाई जाना चाहिए। यदि आप शून्य काल के अनुसार श्री कृष्ण जन्मोत्सव मनाना चाहते हैं, तो 18 अगस्त को रात्रि 12 बजे मनाएं। विद्वानों का कहना है कि इसके बाद 19 तारीख को भी दिन में या किसी भी समय भजन कीर्तन शोभायात्रा इत्यादि कार्य किए जा सकते हैं।

 

19 अगस्त को क्यों मना रहे हैं लोग जन्माष्टमी : कुछ लोग उदयातिथि को मानते हैं। यानी यदि तिथि का प्रारंभ रात्रि में हो रहा है तो फिर सूर्योदय के बाद ही उत्सव मनाना चाहिए। दूसरा तर्क यह है कि श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि के आठवें मुहूर्त में जन्म हुआ था। यह आठवां मुहूर्त 19 अगस्त की शाम को रहेगा। इसलिए 19 अगस्त को ही जन्माष्टमी मनाएं। बहुत से कैलेंडरों में 19 अगस्त को जन्माष्टमी की तारीख बताई गई है। अखिल भारतीय विद्वत परिषद और काशी विद्वत परिषद का कहना है कि 18 तारीख को अष्टमी तिथि सूर्योदय के वक्त नहीं रहेगी बल्कि रात में रहेगी। वहीं, 19 तारीख को अष्टमी तिथि में ही दिन की शुरुआत होगी और रात में भी रहेगी। इसलिए शुक्रवार को ही भगवान का जन्मोत्सव मनाना बेहतर है।

नोट : सामान्य गृहस्थ और स्मार्तजनों के लिए 18 को जन्माष्टमी मनाना श्रेष्ठ है, जबकि वैष्णव सन्यासियों के लिए 19 अगस्त को जन्माष्टमी श्रेष्ठ है।

श्रीकृष्‍ण की नगरी मथुरा, वृंदावन और द्वारका में जन्मोत्सव पर्व 19 अगस्त को मनेगा। उत्तर भारत के ज्यादातर राज्यों में जन्माष्टमी 19 अगस्त को ही मनाई जाएगी। जबकि जगन्नाथ पुरी में मंदिर के पंचांग के हिसाब से 18 तारीख की रात में अष्टमी तिथि मिलने से गुरुवार को कृष्ण जन्म मनेगा।



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