1. श्रीसर्प सूक्त का पाठ : जिस जातक की कुंडली में कालसर्प योग, पितृ दोष होता है उसका जीवन अत्यंत कष्टदायी होता है। उसका जीवन पीड़ा से भर जाता है। उसे अनेक प्रकार की परेशानियां उठानी पड़ती हैं। इस योग से जातक मन ही मन घुटता रहता है। ऐसे जातक को नागपंचमी के दिन श्रीसर्प सूक्त का पाठ करना चाहिए।
2. पितृशांति कर्म : नासिक के पास त्र्यम्बकेश्वर में काल सर्प दोष और पितृदोष का शांतिकर्म किया जाता है। इसके अलावा भी किसी पवित्र नदी के तट पर तीर्थस्थान में शिव सान्निध्य में प्रयोग किए जा सकते हैं। नाग पंचमी पर यदि यह शांतिकर्म कराएंगे तो विशेष लाभ मिलेगा।
3. पुराण पाठ : नाग पंचमी के दिन श्रीमद भागवत पुराण और श्री हरिवंश पुराण का पाठ करवाएं। इससे भी पितृदोष दूर हो जाएंगे।
4. चंदन का तिलक : माथे पर शिवजी को चंदन अर्पित करके खुद चंदन का तिलक लगाएं। इसके साथ ही कर्पूर जलाने से देवदोष व पितृदोष का शमन होता है
4. द्वार पर नाग : नागपंचमी के दिन घर के मुख्य द्वार पर गोबर, गेरू या मिट्टी से सर्प की आकृति बनाएं और इसकी विधिवत रूप से पूजा करें। इससे जहां आर्थिक लाभ होगा, वहीं घर पर आने वाली काल सर्प दोष से उत्पन्न विपत्तियां भी टल जाएंगी। साथ ही पितरों का आशीर्वाद भी मिलेगा।
5. दान : नागपंचमी वाले दिन चांदी का बना नाग-नागिन का जोड़ा किसी विप्र को या किसी मंदिर में दान करना बेहद शुभ माना जाता हैं। इसके लिए जरूरी नहीं है कि बड़ा चांदी का नाग नागिन का ही जोड़ा हो आप पतले तार वाला भी बनवा सकते हैं। इससे आपकी आर्थिक तंगी दूर होकर आपको धन लाभ होने की संभावना बढ़ जाएगी और पितरों का आशीर्वाद भी मिलेगा।
6. मंत्र जाप : इस दिन पितृ दोष से परेशान जातक को ॐ नम: शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए।
7. शिव पूजा : इस दिन शिवजी का रुद्राभिषेक और तेल से शिव का रुद्राभिषेक करवाने से भी तत्काल व प्रभावी परिणाम मिलते हैं।
8. तर्पण : इस दिन चाहे तो किसी पंडित से पूछकर तर्पण भी कर सकते हैं।
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