इन में से लगाएं कोई एक चित्र : शयन कक्ष में राधा-कृष्ण का एक सुंदर-सा चित्र, हंसों के जोड़े का सुंदर-सा चित्र, हिमालय का सुंदर सा चित्र, शंख का एक बड़ा सा चित्र या बांसुरी का चित्र लगाएं।
कर्पूर मिला घी का दीपक जलाएं : घर में रोज कपूर मिला घी का दीपक जलाना चाहिए। दीये की लौ दक्षिण दिशा में रखकर जलाएं। दीपक जलाते समय ध्यान रखें कि लौ पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर हो। दिशा का ध्यान अगर न रख पाएं तो दीपक के मध्य में बाती लगाना शुभ फल देने वाला है।
दिशा का करें चयन : मुख्य शयन कक्ष, जिसे मास्टर बेडरूम भी कहा जाता हें, घर के दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्य) या उत्तर-पश्चिम (वायव्य) की ओर होना चाहिए। अगर घर में एक मकान की ऊपरी मंजिल है तो मास्टर ऊपरी मंजिल के दक्षिण-पश्चिम कोने में होना चाहिए।
कैसे सोएं : शयन कक्ष में सोते समय हमेशा सिर दीवार से सटाकर सोना चाहिए। पैर दक्षिण और पूर्व दिशा में करने नहीं सोना चाहिए। उत्तर दिशा की ओर पैर करके सोने से स्वास्थ्य लाभ तथा आर्थिक लाभ की संभावना रहती है। पश्चिम दिशा की ओर पैर करके सोने से शरीर की थकान निकलती है, नींद अच्छी आती है। दीवार में दरारें हों तो उसकी मरम्मत करवा दें।
शयन कक्ष में क्या नहीं होना चाहिए?
1. बिस्तर के सामने आईना कतई न लगाएं।
2. डबलबेड के गद्दे दो हिस्सों में न हो।
3. शयन कक्ष में धार्मिक चित्र नहीं होना चाहिए।
4. बेडरूम में लाल रंग का बल्ब नहीं होना चाहिए। नीले रंग का लैम्प चलेगा।
5. खराब बिस्तर, तकिया, परदे, चादर, रजाई आदि नहीं रखें।
6. इस कक्ष में टूटा पलंग नहीं होना चाहिए। पलंग का आकार यथासंभव चौकोर रखना चाहिए। पलंग की स्थापना छत के बीम के नीचे नहीं होनी चाहिए। शयन कक्ष के दरवाजे के सामने पलंग न लगाएं। लकड़ी से बना पलंग श्रेष्ठ रहता है।
7. शयन कक्ष में झाड़ू, जूते-चप्पल, अटाला, इलेक्ट्रॉनिक आइटम, टूटे और आवाज करने वाले पंखें, टूटी-फूटी वस्तुएं, फटे-पुराने कपड़े या प्लास्टिक का सामान न रखें।
8. खिड़की के पास बिस्तर न लगाएं। बिस्तर कभी भी खिड़की से सटाकर न लगाएं। ऐसा करने से रिश्तों में तनाव होता है। अगर फिर भी ऐसा संभव न हो पाए तो अपने सिरहाने और खिड़की के बीच पर्दा जरूर डालें। नकारात्मक ऊर्जा रिश्तों पर असर नहीं कर पाएगी।
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