नीली अपराजिता लगाने से Life में होंगे कौन से अच्छे बदलाव

अपराजिता को संस्कृत में आस्फोता, विष्णुकांता, विष्णुप्रिया, गिरीकर्णी, अश्वखुरा कहते हैं जबकि हिन्दी में कोयल और अपराजिता। अपराजिता सफेद और नीले रंग के फूलों वाली होती है। नीले फूल वाली अपराजिता भी दो प्रकार की होती है:- 1. इकहरे फूल वाली और 2. दोहरे फूल वाली।

 

सुंदरता के लिए : नीली अपराजिता आसानी से मिल जाती है। अक्सर सुंदरता के लिए इसके पौधे को बगीचों में लगाया जाता है। इसमें बरसात के सीजन में फलियां और फूल लगते हैं।

 

सुख और समृद्धि के लिए : नीली अपराजिता का पौधा धनलक्ष्मी को आकर्षित करने में सक्षम है। इसके फूल जिसके भी घर-आंगन में खिलते हैं, वहां हमेशा शांति और समृद्धि का निवास होता है।

 

सेहत के लिए : दोनों प्रकार की अपराजिता बुद्धि बढ़ाने वाली, कंठ को शुद्ध करने वाली, आंखों के लिए उपयोगी होती है। यह बुद्धि या दिमाग और स्मरण शक्ति को बढ़ाने वाली है। आयुर्वेद के अनुसार यह सफेद दाग और कोढ़ जैसे चर्मरोग में लाभदायक है। यह मूत्रदोष और आंवयुक्त दस्त दूर करने में असरकारक मानी गई है। यह सूजन तथा जहर को दूर करने वाली भी मानी जाती है।

इसके साथ ही यह क्रोनिक डिजीज से बचाती है। इम्यूनिटी बढ़ाने भी सहायक है। वजन घटान में भी सहायक है। ब्लड प्रेशर को कम करती है। पाचन तंत्र को ठीक करती है और यह भी माना जाता है कि यह कैंसर जैसे रोग क जोखिम को कम करती है।

 

किस दिशा में लगाएं : वास्तु शास्त्र के अनुसार अपराजिता के पौधे को घर की पूर्व, उत्तर या ईशान दिशा में लगाना चाहिए। उत्तर-पूर्व के बीच की दिशा को ईशान कोण कहते हैं। यह दिशा देवी देवताओं और भगवान शिव की दिशा मानी गई है।



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