जया एकादशी के 11 नियम, व्रत से पहले जान लीजिए

ekadashi vrat rules
 

हर माह दो एकादशियां पड़ती (Ekadashi 2023) है। इस बार बुधवार, 1 फरवरी 2023 को जया एकादशी मनाई जा रही है। अगर आप भी एकादशी व्रत करते हैं तो यह नियम आपको अवश्य ही पता होने चाहिए। अगर व्रतधारी नहीं देंगे इन बातों पर ध्यान, तो नहीं मिलेगा एकादशी व्रत का पूरा फल...। अत: एकादशी व्रत रखने से पहले यहां जान लीजिए 11 खास नियम...। 

 

एकादशी के नियम-Ekadashi ke Niyam

 

1 एकादशी के दिन स्नानादि कर मंदिर में जाकर पुराण, सत्यनारायण कथा आदि का वाचन करें। 

 

2 एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और अंगुली से कंठ शुद्ध कर लें। 

 

3 इस प्रकार प्रभु के सामने संकल्प करें- ‘आज मैं चोर, पाखंडी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करूंगा और न ही किसी का दिल दुखाऊंगा। गौ, ब्राह्मण आदि को फलाहार व अन्नादि देकर प्रसन्न करूंगा। रात्रि जागरण करके कीर्तन करूंगा, ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जाप करूंगा, राम, कृष्ण, नारायण इत्यादि विष्णुसहस्रनाम को अपने कंठ का भूषण बनाऊंगा।’ ऐसी प्रतिज्ञा करके श्री विष्णु भगवान का स्मरण कर प्रार्थना करें कि- ‘हे त्रिलोकपति! मेरी लाज आपके हाथ है, अत: मुझे इस संकल्प को पूरा करने की शक्ति प्रदान करें।’ 

 

4 वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें। 

 

5 ब्रह्मचर्य का पालन करें तथा भोग विलास से भी दूर रहें तथा जुआ, निद्रा, पान, निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, क्रोध, झूठ, कपट आदि कुकर्मों से दूर रहना चाहिए। 

 

6 व्रतधारी को आज के दिन गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए। 

 

7 व्रत के (दशमी, एकादशी और द्वादशी) इन 3 दिनों में कांसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, चावल, मसूर, उड़द, चने, शाक, शहद, तेल और अधिक जल का सेवन न करें। 

 

8 व्रत के पहले दिन (दशमी को) और दूसरे दिन (द्वादशी को) हविष्यान्न (जौ, गेहूं, मूंग, सेंधा नमक, काली मिर्च, शर्करा और गोघृत आदि) का एक बार भोजन करें।

 

9 एकादशी के दिन घर में स्वयं झाडू नहीं लगाएं, इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है। 

 

10 इस दिन यथाशक्ति अन्न दान करें किंतु स्वयं किसी का दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें। 

 

11 एकादशी व्रत में मौन, जप, शास्त्र पठन, कीर्तन, रात्रि जागरण विशेष लाभ पहुंचाते हैं। अत: इस दिन अधिक से अधिक समय मौन रहें, मधुर बोलें, अधिक न बोलें।

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