वृषभ राशि : यह राशि शुक्र की राशि है। शुक्र और शनि आपस में मित्र हैं। वृषभ राशि के लोगों को शनि की दशा, महादशा, साढ़ेसाती और ढैय्या में ज्यादा पीड़ा नहीं मिलती है बल्कि कई बार तो यदि कर्म अच्छे हैं तो इन दौरान उनके भाग्य चमक जाते हैं और जातक सभी तरह की सुख, सुविधा और समृद्धि को प्राप्त करता है।
तुला राशि: शनिदेव तुला राशि में उच्चे के होते हैं। इसलिए शनिदेव तुला के जातकों को अधिक कष्ट नहीं देते हैं। तुला राशि के लोग मेहनती, ईमानदार और प्रतिभावान होते हैं। तुला पर शुक्र के साथ ही शनिदेव की कृपा भी बनी रहती है। यदि ये लोग किसी से छल कपट न रखें तो जीवन में संघर्ष करने की इन्हें कोई जरूरत नहीं। भाग्य का भरपूर सहयोग मिलेगा।
मकर राशि: मकर राशि शनि की खुद की राशि है। इसीलिए शनिदेव की मकर राशि वालों पर कृपा बनी रहती है। इन लोगों के सामने अवसरों की भरमार रहती है। भाग्य का पूरा साथ मिलता है। ये आसानी से हार नहीं मानते हैं और जीवन में हर क्षेत्र में सफल होते हैं। मकर राशि के जातकों को शनि देव का प्रकोप जल्दी से प्रभावित नहीं करता है।
कुंभ राशि: कुंभ राशि शनिदेव की खुद की राशि होने के साथ ही मूल त्रिकोण राशि भी है। इस राशि के लोग न्यायप्रिय और नेतृत्व में अग्रिण होते हैं। धैर्य और ईमानदारी के साथ ये संकट से निपटना भी जानते हैं। इन्हें कभी भी आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़ता है। इस राशि के जातकों पर शनि के अशुभ प्रभाव ज्यादा असर नहीं होता है। शनिदेव की इन पर हमेशा कृपा बनी रहती है।
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