महागौरी का स्वरूपः इनका रंग गौर है, इनके गौर वर्ण की उपमा ग्रंथों में शंख, चंद्र और कुंद के फूल से दी गई है। इनके वस्त्र और आभूषण भी श्वेत माने गए हैं। इनकी चार भुजाएं और वाहन वृषभ है। इनके ऊपर का दायां हाथ अभय मुद्रा में और नीचे हाथ में त्रिशूल है, जबकि ऊपर के बाएं हाथ में डमरू और नीचे के बायां हाथ वर मुद्रा में है।
महागौरी की कथा
देवी महागौरी को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार माता पार्वती ने शिवजी को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की, जिससे इनका शरीर काला पड़ गया। जब भगवान शिव तपस्या से प्रसन्न होकर प्रकट हुए तो माता का काला रंग देखकर उन्हें गंगा जल से स्नान करने के लिए कहा, ऐसा करते ही उनका रूप दमक उठा। वह कांतिमान और गौरवर्ण की हो गईं। तभी से इनका नाम गौरी पड़ा, महागौरी के रूप में देवी करूणामयी, स्नेहमयी, शांत और मृदुल दिखती हैं। महान तपस्या के कारण इनका नाम महागौरी पड़ गया। ऋषिगण ऊँ सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुते मंत्र से प्रार्थना करते हैं।
महागौरी की पूजा का महत्व
मां महागौरी का ध्यान, स्मरण, पूजा आराधना हर तरह से भक्तों के लिए कल्याणकारी माना जाता है। इनकी कृपा से अलौकिक सिद्धियों की प्राप्ति होती है। मां महागौरी भक्त के हर संकट को दूर करती हैं, इनकी पूजा से सभी नौ देवियां (स्वरूप) प्रसन्न होती हैं। ये अमोष फलदायिनी हैं, इनकी पूजा से भक्तों के सभी पाप और पूर्व संचित पाप नष्ट हो जाते हैं। माता राहु ग्रह को नियंत्रित करती हैं, इसलिए इनकी पूजा राहु के दुष्प्रभाव को कम करती हैं।
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महागौरी की पूजा का शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्तः 4.42 एएम से 5.29 एएम
विजय मुहूर्तः 2.30 पीएम से 3.19 पीएम
गोधूलि मुहूर्तः 6.36 पीएम से 6.59 पीएम
अमृतकालः 9.02 एएम से 10.49 एएम
नवरात्रि अष्टमी पर महागौरी पूजा विधि
मां महागौरी की पूजा भी दूसरे दिनों की तरह ही पंचोपचार विधि से होती है। नवरात्रि की अष्टमी यानी महाष्टमी के दिन महिलाएं सुहाग के लिए माता को चुनरी भेंट करती हैं। माता महागौरी का प्रिय भोग नारियल है, अष्टमी के दिन नारियल का भोग लगाने के बाद इसे ब्राह्मण को दे देना चाहिए या प्रसाद के रूप में बांट देना चाहिए। माता महागौरी की पूजा के समय गुलाबी वस्त्र पहनना अच्छा माना जाता है। अष्टमी के दिन ऐसे पूजा कर सकते हैं।
1. सुबह स्नान ध्यान के बाद स्वच्छ गुलाबी वस्त्र धारण कर मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं।
2. सफेद रंग के वस्त्र, सफेद पुष्प अर्पित करें, रोली, कुमकुम लगाएं।
3. मिष्ठान, पंचमेवा, मिठाई,नारियल चढ़ाएं।
4. काले चने का भोग लगाएं, मंत्र जपें, मां का ध्यान और आरती करें।
5. कन्या पूजन करें।
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संधि पूजा
महाष्टमी को दुर्गा पूजा का मुख्य दिन माना जाता है। महाष्टमी को संधि पूजा की जाती है, यह पूजा अष्टमी के साथ नवमी को भी की जाती है। यह पूजा अष्टमी समाप्त होने के अंतिम 24 मिनट और नवमी शुरू होने के 24 मिनट के बीच होती है। दुर्गा पूजा का यह सबसे शुभ समय माना जाता है, मान्यता है कि इसी समय देवी मां ने प्रकट होकर असुर चंड-मुंड का वध किया था। इस समय पहले पशुबलि की परंपरा थी, हालांकि अब प्रतीक रूप में केला, कद्दू, ककड़ी सब्जी आदि की बलि देते हैं। इसके अलावा इस समय 108 दीये जलाने चाहिए।
माता की पूजा का मंत्र
ऊँ देवी महागौर्ये नमः
स्तुति मंत्र
1. या देवी सर्व भूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
प्रार्थना मंत्र
2. श्वेते वृषे समारूढ़ा, श्वेतांबरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोदया।।
ध्यान मंत्र
वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्विनीम्॥
पूर्णन्दु निभाम् गौरी सोमचक्रस्थिताम् अष्टमम् महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीयां लावण्यां मृणालां चन्दन गन्धलिप्ताम्॥
स्त्रोत
सर्वसंकट हन्त्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदायनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
त्रैलोक्यमङ्गल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददम् चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
कवच मंत्र
ॐकारः पातु शीर्षो मां, हीं बीजम् मां, हृदयो।
क्लीं बीजम् सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाटम् कर्णो हुं बीजम् पातु महागौरी मां नेत्रम् घ्राणो।
कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा मां सर्ववदनो॥
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मां महागौरी की आरती
जय महागौरी जगत की माया।
जय उमा भवानी जय महामाया।।
हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरा वहां निवास।।
चंदेर्काली और ममता अंबे।
जय शक्ति जय जय मां जगदंबे।।
भीमा देवी विमला माता।
कोशकी देवी जग विख्याता।।
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