अक्षय तृतीया का महत्व- importance of Akshaya Tritiya : अक्षय तृतीया (अखातीज) को अनंत-अक्षय-अक्षुण्ण फलदायक कहा जाता है। जो कभी क्षय नहीं होती उसे अक्षय कहते हैं। बताया जाता है कि वर्ष में साढ़े तीन अक्षय मुहूर्त है। जिसमें प्रथम व विशेष स्थान अक्षय तृतीया का है। इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर के पूछने पर यह बताया था कि आज के दिन जो भी रचनात्मक या सांसारिक कार्य करोगे, उसका पुण्य मिलेगा। इस दिन को स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना गया है।
अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त : प्रात: 07:51:19 से 12:19:56 तक।
पौराणिक घटनाएं : इस दिन भगवान नर-नारायण सहित परशुराम और हय ग्रीव का अवतार हुआ था। इसके अलावा, ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का जन्म भी इसी दिन हुआ था। कुबेर को खजाना मिला था। मां गंगा का अवतरण भी इसी दिन हुआ था। सुदामा भगवान कृष्ण से मिलने पहुंचे थे। इसी दिन सतयुग और त्रैतायुग का प्रारंभ हुआ था और द्वापर युग का समापन भी इसी दिन हुआ। अक्षय तृतीया के दिन से ही वेद व्यास और भगवान गणेश ने महाभारत ग्रंथ लिखना शुरू किया था। आदि शंकराचार्य ने कनकधारा स्तोत्र की रचना की थी। इसी दिन महाभारत की लड़ाई खत्म हुई थी। प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ ऋषभदेवजी भगवान के 13 महीने का कठीन उपवास का पारणा इक्षु (गन्ने) के रस से किया था।
क्या करते हैं इस दिन :
1 . इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर के पूछने पर यह बताया था कि आज के दिन जो भी रचनात्मक या सांसारिक कार्य करोगे, उसका पुण्य मिलेगा। अक्षय तृतीया के दिन ही वृंदावन के बांके बिहारी जी के मंदिर में श्री विग्रह के चरणों के दर्शन होते हैं।
2. अक्षय तृतीया के दिन पंखा, चावल, नमक, घी, चीनी, सब्जी, फल, इमली और वस्त्र वगैरह का दान अच्छा माना जाता है।
3. यह तिथि किसी भी नए काम की शुरुआत, खरीददारी, विवाह के लिए बहुत ही शुभ मानी जाती है। इस दिन स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना गया है। समस्त शुभ कार्यों के अलावा प्रमुख रूप से शादी, स्वर्ण खरीदने, नया सामान, गृह प्रवेश, पदभार ग्रहण, वाहन क्रय, भूमि पूजन तथा नया व्यापार प्रारंभ कर सकते हैं।
4. अक्षय तृतीया के दिन स्नान, ध्यान, जप-तप करना, हवन करना, स्वाध्याय और पितृ तर्पण करने से पुण्य मिलता है। अक्षय तृतीया के पावन दिन पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष प्रदान होता है।
5. इस दिन महिलाएं अपने परिवार की समृद्धि के लिए व्रत करती हैं। अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा विधि-विधान से करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। भगवान के सामने धूप दीप प्रज्वलित करें और चंदन, श्वेत कमल के पुष्प या श्वेत गुलाब आदि से पूजन करें।
इसके बाद अपने घर में सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।
क्या नहीं करते हैं इस दिन :
1. अक्षय तृतीया के दिन मांस, प्याज और लहसुन के साथ-साथ मदिरा का भी सेवन वर्जित माना गया है। यह रोग और शोक पैदा करने वाला है।
2. इस दिन बिना स्नान के और अनुमति के तुलसी के पत्तों को नहीं तोड़ना चाहिए अन्यथा माता लक्ष्मी रुष्ठ हो जाती है। रविवार के दिन अक्षय तृतीया हो तो तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ना चाहिए। पूजा हेतु पहले से ही तोड़कर जल में रख लें।
3. अक्षय तृतीया के दिन भवन निर्माण नहीं करना चाहिए लेकिन इस दिन बना बनाया मकान जरूर खरीद सकते हैं।
4. इस दिन शरीर और घर को बिल्कुल भी गंदा नहीं रखना चाहिए क्योंकि इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा होती है।
5. अक्षय तृतीया के दिन भूल से भी घर खाली वापस हाथ नहीं आना चाहिए वर्ना बरकत चली जाती है।
6. इस दिन क्रोध, ईर्ष्या, कटूवचन या गृहकलह ना करें। ऐसा करना अशुभ फलदायी माना गया है।
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