Solar Eclipse 2023: Religious and scientific reasons for solar eclipse: साल 2023 का पहला सूर्य ग्रहण जल्द ही लगने वाला है। इस बार लगने वाला सूर्य ग्रहण को वैज्ञानिकों ने हाइब्रिड सूर्य ग्रहण का नाम दिया है। ऐसा सूर्य ग्रहण 100 साल में एक बार लगता है। इस तरह के हाइब्रिड सूर्य ग्रहण में एक साथ 3 सूर्य ग्रहण नजर आएंगे। आपको बता दें कि यह हाइब्रिड सूर्य ग्रहण भारत में नजर नहीं आएगा। इसीलिए यहां सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। यहां एक सवाल मन में आ रहा है कि क्या आप जानते हैं सूर्य ग्रहण क्यों लगता है? तो जिन लोगों को अब तक इसका पौराणिक या वैज्ञानिक कारण नहीं पता है, वे पत्रिका.कॉम के इस लेख ध्यान से पढ़ सकते हैं और अपनी नॉलेज का स्कॉर एक प्वॉइंट और बढ़ा सकते हैं...
यह है सूर्य ग्रहण की पौराणिक
सूर्य ग्रहण की कथा समुद्र मंथन से जुड़ी है। प्राचीन काल में देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। इस मंथन में 14 रत्न निकले थे। समुद्र मंथन में जब अमृत निकला तो, इसके लिए देवताओं और दानवों के बीच युद्ध होने लगा। तब श्रीहरि ने मोहिनी अवतार लिया और देवताओं को अमृतपान करवाने लगे। उस समय राहु नाम के दानव ने भी देवताओं का वेश धारण करके अमृत पान कर लिया। चंद्र और सूर्य ने राहु को पहचान लिया और भगवान विष्णु को बता दिया। तब विष्णुजी ने क्रोधित होकर राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया। क्योंकि राहु ने भी अमृत पी लिया था, इसलिए वह अमर हो गया था। तभी से राहु चंद्र और सूर्य को अपना शत्रु मानता है। समय-समय पर इन ग्रहों को ग्रसता है। शास्त्रों में इसी घटना को सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण का नाम दिया जाता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सूर्य ग्रहण
ग्रहण एक खगोलीय घटना है। जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के मध्य से होकर गुजरता है तथा पृथ्वी से देखने पर सूर्य पूर्ण अथवा आंशिक रूप से चंद्रमा से आच्छादित होता है। यानी कि जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाता है तो, चंद्रमा के पीछे सूर्य का बिंब कुछ समय के लिए ढक जाता है। इसी खगोलीय घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
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