विवाह में कौनसे ग्रह और भाव के कारण होती है देरी, जानिए कारण और निवारण

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Vivah me deri kyu hoti hai : कई जातकों का विवाह देर से होता है और कई का अभी तक हुआ नहीं है। विवाह में कई तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। आखिर विवाह में आ रही बाधा के लिए कौनसे ग्रह जिम्मेदार है और क्या हो सकता है इसका निवारण? यदि आप खुद की या घर के किसी सदस्य का तुरंत विवाह करना चाहते हैं तो जरूर पढ़ें।

 

विवाह में बाधा डालने वाले ग्रह:

कुंडली में मंगल ग्रह यदि लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में है तो विवाह में बाधा उत्पन्न होगी।

लड़की की कुंडली में बृहस्पति कमचोर है और लड़के की कुंडली में शुक्र कमजोर है तो विवाह में देरी होगी।

मंगल और शुक्र की युति से भी विवाह में देरी या बाधा उत्पन्न होती है।

 

विवाह में बाधा डालने वाला भाव :

  1. कुंडली का सप्तम भाव, दूसरा और ग्यारहवां भाव यह बताता है कि विवाह जल्दी होगा या देर।
  2. सातवां भाव जीवनसाथी की स्थिति और आपके उसके साथ संबंध को दर्शाता है।
  3. दूसरे और ग्यारहवें से भी विवाह की स्थिति को देखा जाता है।
  4. विवाह का ‍शीघ्र होना या देर से होना यह 7वें घर के स्वामी के गोचर की स्थिति से भी तय होता है।
  5. कुंडली में सप्तम भाव को विवाह का घर माना जाता है। इस भाव में जो घर बैठा हो वैसा वैवाहिक जीवन होने की मान्यता है। 
  6. सातवें भाव को पत्नी, ससुराल, प्रेम, भा‍गीदारी और गुप्त व्यापार के लिए भी माना जाता है।

विवाह में विलंब का कारण :

  • यदि 7वें भाव के स्वामी पापी ग्रहों के साथ हैं अथवा उनकी क्रूर दृष्टि 7वें भाव या 7वें भाव के स्वामी पर पड़ रही है, तो विवाह में देरी होगी।
  • यदि लग्न में सभी ग्रह मौजूद हैं, अथवा 7वें घर में हैं, अथवा इन घरों पर दृष्टि डालते हैं या एक-दूसरे को देख रहे हैं, तो विवाह तब तक संभव नहीं होगा जब तक कि इन सभी की दृष्टि शुभ नहीं हो जाती हैं।


कब बनेंगे विवाह के योग 

कुंडली में लग्न के स्वामी तथा 7वें घर के स्वामी जब कभी इन दोनों भावों के स्वामी एक-साथ 7वें भाव में या विवाह के संबंधित भाव के ऊपर से गोचर करेंगे, तभी विवाह के योग बनेंगे।  

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शीघ्र विवाह के लिए करें 10 उपाय:

  1. कुंभ विवाह करें: अर्थात किसी घढ़े के साथ विवाह करते उसे फोड़ दिया जाता है। हालांकि इस संबंध में किसी पंडित से चर्चा करेंगे तो वे अच्छे से बता पाएंगे।
  2. भात पूजन कराएं : उज्जैन के मंगलनाथ नामक स्थान पर भात पूजन होता है। यही एकमात्र स्थान है जहां यह कार्य होता है। इससे मंगलदोष समाप्त हो जाता है।
  3. नीम का पेड़ लगाएं : कभी भी जाकर सुरक्षित स्थान पर एक नीम का पेड़ लगाएं और तब तक उसकी देखरेख करें जब तक कि वह थोड़ा बड़ा नहीं हो जाता। आप चाहे तो बड़ा पेड़ भी लगाकर उसकी कम से कम 43 दिन तक देखरेख करें।
  4. सफेद सुरमा लगाएं : सफेद सुरमा 43 दिन तक लगाना चाहिए।
  5. हनुमान चालीसा पढ़े : कम से कम 1001 बार हनुमान चालीसा पढ़कर हनुमानजी को चौला चढ़ाएं।
  6. मांस खाना छोड़ दें : यदि आप मांस खाते हैं तो विवाह पूर्व मांस छोड़ने का संकल्प लें। 
  7. क्रोध करना छोड़ दें : अपने क्रोध पर काबू और चरित्र को उत्तम रखना चाहिए। भाई-बहनों का सम्मान करें।
  8. गुड़ खाएं और खिलाएं : यदि आपको किसी भी प्रकार की स्वास्थ समस्या नहीं है तो लोगों को गुड़ खिलाएं और खुद भी थोड़ा थोड़ा खाते रहें।
  9. पेट और खून को साफ रखें : पेट में गैस बनना, कब्ज रहना और खून का गंदा होना मंगल खराब की निशानी है। अत: इस पर ध्यान दें और इसे ठीक करें।
  10. कुंडली अनुसार उपाय : अष्टम का मंगल है तो तंदूरी मीठी रोटी कुत्ते को 40 या 45 दिन तक खिलाएं और गले में चांदी की चेन पहनें। अदि सप्तम का मंगल है तो बुध और शुक्र का उपाय करने के साथ ही घर में ठोस चांदी रखें। यदि चौथा मंगल है तो वटवृक्ष की जड़ में मीठा दूध चढ़ाएं। चिड़ियों को दाना डालें, बंदरों को गुड़ और चना खिलाएं। अपने पास सदैव चांदी रखें। यदि मंगल लग्न में हैं तो शरीर पर सोना धारण करना चाहिए। यदि मंगर 12वें भाव में हैं तो नित्य सुबह खाली पेट शहद का सेवन करें। एक किलो बताशे मंगल के दिन बहते जल में प्रवाहित करें या मंदिर में दान दें।


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