हवनात्मक शांति क्या है?
अभिषेक का अर्थ होता है भगवान को नहलाना, स्नान कराना और फिर उनकी पूजा करना। नित्य प्रभात श्री मंगल अभिषेक या पंचामृत अभिषेक में दूध, दही, घी, शक्कर और शहद से भगवान का स्नान कराते हैं। स्वतंत्र अभिषेक में इसी कार्य को और भी अच्छे से जपपूर्वक विधिवत रूप से करते हैं। यदि आपका निम्न या सौम्य मंगल है तो आप अभिषेक करा सकते हैं।
परंतु यदि आपका कड़क मंगल है तो आपको हवनात्मक शांति कराना चाहिए। अभिषेक में हम भगवान को स्नान और पूजा कराकर उन्हें प्रसन्न करते हैं जबकि हवन में हम भगवान को खिलाकर खुश करते हैं। हवन भगवान का भोजन होता है। इसमें घी, तील, जौ आदि सभी हवन सामग्री अर्पित करके हम भगवान को खुश करते हैं। यदि आपका कड़क मंगल है तो आपको हवन कराना चाहिए।
हवनात्मक पूजा में हवन को अच्छे से सजाकर संपूर्ण सामग्री के साथ पूजा की जाती है जो करीब 2 से ढाई घंटे तक चलती है। इस पूजा की दक्षिणा देकर आप यह पूजा करवा सकते हैं। माना जाता है कि इससे कितना भी कड़क मंगल हो उसका निवारण हो जाता है।
यदि आप किसान, बिल्डर, प्रॉपर्टी ब्रोकर, खेतीहर मजदूर हैं, सब्जी या अनाज का व्यापार करते हैं, बगीचे के माली हैं, फूल या फलों का व्यापार करते हैं या सिविल इंजीनियर हैं तो आपके आराध्य देव मंगल देव हैं। उपरोक्त कार्यों में रुकावट आ रही है तो आप भी ये हवनात्मक पूजा करवा सकते हैं।
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