हाथी की प्रतिमा : समुद्र मंथन के दौरान ऐरावत नाम का सफेद हाथी निकला था जिसे इंद्र ने अपने पास रख लिया था। घर में चांदी का हाथी रखने से जहां राहु एवं केतु के प्रकोप शांत होता है वहीं घर में सुख, शांति एवं समृद्धि आती है। चांदी का नहीं तो तांबे या पीतल का रख सकते हैं।
घोड़े की प्रतिमा : समुद्र मंथन से उच्चैःश्रवा नामक सफेद घोड़ा निकला था। घर में घोड़े की मूर्ति रखने से जीवन में सभी तरह की तरक्की मिलती है। सफलता के रास्ते में किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं होती है।
कलश : समुद्र मंथन के दौरान अंत में भगवान धन्वंतरि देव अमृत से भरा कलश लेकर निकले थे। देवता और असुरों के कारण कलश के अमृत की बूंदे जहां गिरी थी वहां कुंभ का आयोजन होता है। हिन्दू धर्म में तांबे या पीतल के कलश की घर में स्थापना करने से स्थाई रूप से धनलक्ष्मी का वास होता है और मंगल ही मंगल होता है।
पारिजात का पौधा : यह भी समुद्र मंथन के दौरान निकला था जिसे इन्द्रदेव ने अपने लोक में रोपित कर दिया था। पारिजात का वृक्ष जिस किसी के भी घर के आसपास होता है समझों वहां लक्ष्मी का वास होता है। जीवन भर सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। किसी भी प्रकार का कोई संकट नहीं रहता है।
कानधेनु : विष के बाद मथे जाते हुए समुद्र के चारों ओर बड़े जोर की आवाज उत्पन्न हुई। देव और असुरों ने जब सिर उठाकर देखा तो पता चला कि यह साक्षात सुरभि कामधेनु गाय थी। बाजार में कामधेनु गाय की प्रतीमा मिलती है। उसे घर में रखने से घर का वातावरण सकारात्मक बना रहता है और सुख समृद्धि बढ़ती है।
लक्ष्मी : समुद्र मंथन के दौरान लक्ष्मी की उत्पत्ति भी हुई। लक्ष्मी अर्थात श्री और समृद्धि की उत्पत्ति। कुछ लोग इसे सोने (गोल्ड) से जोड़ते हैं। माना जाता है कि जिस भी घर में स्त्री का सम्मान होता है, वहां समृद्धि कायम रहती है। माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र का घा में होना बहुत ही शुभ माना जाता है।
शंख : शंख तो कई पाए जाते हैं लेकिन पांचजञ्य शंख मिलना मुश्किल है। समुद्र मंथन के दौरान इस शंख की उत्पत्ति हुई थी। 14 रत्नों में से एक पांचजञ्य शंख को माना गया है। शंख को विजय, समृद्धि, सुख, शांति, यश, कीर्ति और लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है। सबसे महत्वपूर्ण यह कि शंख नाद का प्रतीक है। शंख ध्वनि शुभ मानी गई है।
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