Ravi Pradosh vrat : अधिक मास का पहला प्रदोष व्रत इस बार रविवार को पड़ रहा है। धार्मिक शास्त्रों में प्रदोष व्रत की बड़ी महिमा है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, प्रदोष व्रत प्रत्येक मास की त्रयोदशी तिथि को होता है। एक मास में यह व्रत दो बार आता है।
रविवार को आने वाला प्रदोष व्रत स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। रवि प्रदोष व्रत में पूजन सूर्यास्त के समय करने का महत्व है। यह व्रत करने वाले की सेहत संबंधी परेशानियां दूर होकर व्रतधारी सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करता है।
वर्ष 2023 में रवि प्रदोष व्रत 30 जुलाई, दिन रविवार को मनाया जा रहा है। इस बार का व्रत श्रावण अधिक मास में आने के कारण इसका अधिक महत्व बढ़ गया है। यह अधिक मास का पहला और सावन माह का दूसरा प्रदोष व्रत मनाया जा रहा है।
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार इस बार अधिक मास के कारण सावन 2 महीने मनाया जाएगा और ऐसे में हर माह की तरह 2 प्रदोष व्रत की जगह 4 प्रदोष व्रत पड़ रहे हैं। अत: सावन में आने वाले प्रदोष व्रत का महत्व और अधिक बढ़ गया है।
बता दें कि इस बार सावन अधिक प्रदोष व्रत के दिन इंद्र योग, सर्वार्थसिद्धि योग और रवि योग यानी इन 3 शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। अत: इन शुभ मुहूर्त और योगों में भगवान भोलेनाथ की आराधान करने से पूजन का अत्याधिक शुभ फल प्राप्त होता है।
अत: श्रावण अधिक मास के प्रदोष व्रत के दिन पूरे मन से भगवान शिव जी की आराधना अवश्य ही करें। इस व्रत से घर में चल रही कलह, अशांति दूर होकर जीवन में खुशियों का तथा मानसिक शांति का अनुभव होगा।
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