1. पूर्वमुखी : पूर्व की तरफ जो मुंह है उसे 'वानर' कहा गया है। जिसकी प्रभा करोड़ों सूर्यो के तेज समान हैं। इनका पूजन करने से समस्त शत्रुओं का नाश हो जाता है। इस मुख का पूजन करने से शत्रुओं पर विजय पाई जा सकती है।
2. पश्चिममुखी : पश्चिम की तरफ जो मुंह है उसे 'गरूड़' कहा गया है। यह रूप संकटमोचन माना गया है। जिस प्रकार भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ अजर-अमर हैं उसी तरह इनको भी अजर-अमर माना गया है।
3. उत्तरामुखी हनुमान : उत्तर दिशा देवताओं की मानी जाती है। यही कारण है कि शुभ और मंगल की कामना उत्तरामुखी हनुमान की उपासना से पूरी होती है। उत्तर की तरफ जो मुंह है उसे 'शूकर' कहा गया है। इनकी उपासना करने से अबाध धन-दौलत, ऐश्वर्य, प्रतिष्ठा, लंबी आयु तथा निरोगी काया प्राप्त होती है।
4. दक्षिणामुखी हनुमान : दक्षिण की तरफ जो मुंह है उसे 'भगवान नृसिंह' कहा गया है। यह रूप अपने उपासको को भय, चिंता और परेशानीयों से मुक्त करवाता है। दक्षिण दिशा में सभी तरह की बुरी शक्तियों के अलावा यह दिशा काल की दिशा मानी जाती है। यदि आप अपने घर में उत्तर की दीवार पर हनुमानजी का चित्र लगाएंगे तो उनका मुख दक्षिण की दिशा में होगा। दक्षिण में उनका मुख होने से वह सभी तरह की बुरी शक्तियों से हमें बचाते हैं। इसलिए दक्षिणामुखी हनुमान की साधना काल, भय, संकट और चिंता का नाश करने वाली होती है। इससे शनि की सभी तरह की बाधा भी दूर रहो जाती है।
5. ऊर्ध्वमुख : हनुमानजी का ऊर्ध्वमुख रूप 'घोड़े' के समरूप है। यह स्वरूप ब्रह्माजी की प्रार्थना पर प्रकट हुआ था। मान्यता है कि हयग्रीवदैत्य का संहार करने के लिए वे अवतरित हुए थे।
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