कब है नाग पंचमी 2023:- नागपंचमी का पर्व 21 अगस्त सोमवार के दिन मनाया जाएगा।
नागपंचमी पूजा का शुभ मुहूर्त:- सुबह 06:21 से 08:53 तक।
अन्य मुहूर्त :-
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04:51 से 05:36 तक।
अभिजित मुहूर्त- दोपहर 12:16 से 01:07 तक।
विजय मुहूर्त - दोपहर 02:48 से 03:39 तक।
गोधूलि मुहूर्त- शाम 07:02 से 07:25 तक।
सायाह्न सन्ध्या- शाम 07:02 से 08:10 तक।
अमृत काल- पूरे दिन।
नाग पंचमी पूजा की आसान विधि:-
1. नित्यकर्म से निवृत्त होकर नाग पूजा के स्थान को साफ करें।
2. पूजा स्थान पर उचित दिशा में लकड़ी का एक पाट या चौकी लगाएं और उस पर लाल कपड़ा बिछा दें।
3. अब उस पाट पर नाग का चित्र, मिट्टी की मूर्ति या चांकी के नाग को विराजमान करें।
4. अब चित्र या मूर्ति पर गंगाजल छिड़कर उन्हें स्नान कराएं और उनको नमस्कार करके उनका आह्वान करें।
5. फिर हल्दी, रोली (लाल सिंदूर), चावल और फूल लेकर नाग देवता को अर्पित करें। उनकी पंचोपचार पूजा करें।
6. उसके बाद कच्चा दूध, घी, चीनी मिलाकर नाग मूर्ति को अर्पित करते हैं।
7. पूजन करने के बाद सर्प देवता की आरती उतारी जाती है।
8. अंत में नागपंचमी की कथा अवश्य सुनते हैं।
9. इसी तरह से संध्या को भी पूजा आरती करें।
10. पूजा आरती के बाद दान आदि देकर व्रत का पारण कर सकते हैं।
नागपंचमी के अचूक उपाय:-
1. चांदी के नाग नागिन के जोड़े यदि आप नहीं ला सकते हैं तो बड़ी-सी रस्सी में सात गांठें लगाकर उसे सर्प रूप में बना लें। फिर उसे एक आसन पर स्थापित करके उसपर कच्चा दूध, बताशा और फूल अर्पित करें। फिर गुग्गल की धूप दें। इस दौरान राहु और केतु के मंत्र पढ़ें। राहु के मंत्र 'ऊं रां राहवे नम:' और केतु के मंत्र 'ऊं कें केतवे नम:' का जाप बराबर संख्या में करें। इसके बाद भगवान शिव का ध्यान करते हुए एक-एक करके रस्सी की गांठ खोलते जाएं। फिर जब भी समय मिले रस्सी को बहते हुए जल में बहा दें दें। इससे काल सर्पदोष दूर हो जाएगा।
2. नागपंचमी के दिन घर के मुख्य द्वार पर गोबर, गेरू या मिट्टी से सर्प की आकृति बनाएं और इसकी विधिवत रूप से पूजा करें। इससे जहां आर्थिक लाभ होगा, वहीं घर पर आने वाली काल सर्प दोष से उत्पन्न विपत्तियां भी टल जाएंगी।
3. नाग पूजा के साथ ही नाग माता कद्रू, मनसा देवी, बलराम पत्नी रेवती, बलराम माता रोहिणी और सर्पो की माता सुरसा की वंदना भी करें। मान्यता अनुसार पंचमी के दिन घर के आंगन में नागफनी की शाखा पर मनसा देवी की पूजा करने से विष का भय नहीं रह जाता। मनसा देवी की पूजा के बाद ही नाग पूजा होती है। यह भी काल सर्प दोष से मुक्ति का एक उपाय है।
4. 'आस्तिक मुनि की दुहाई' नामक वाक्य घर की बाहरी दीवारों पर सर्प से सुरक्षा के लिए लिखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस वाक्य को घर की दीवार पर लिखने से उस घर में सर्प प्रवेश नहीं करता और काल सर्प दोष भी नहीं लगता है।
5. जिस जातक की कुंडली में कालसर्प योग, पितृ दोष होता है उसका जीवन अत्यंत कष्टदायी होता है। उसका जीवन पीड़ा से भर जाता है। उसे अनेक प्रकार की परेशानियां उठानी पड़ती हैं। इस योग से जातक मन ही मन घुटता रहता है। ऐसे जातक को नागपंचमी के दिन श्रीसर्प सूक्त का पाठ करना चाहिए।
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