किस तरह लाभदायक है माचिस की तीलियां?
- मिट्टी में कीड़े लगने पर पौधे मुरझाकर मर जाते हैं। ऐसे में माचिस की तीलियों का प्रयोग करें।
- माचिस की तीलियों में मौजूद ज्वलनशील मसाला कीटनाशक दवा की तरह काम करता है।
- तीलियों को बनाने में फास्फोरस, सल्फर और मैग्नीशियम क्लोरोफिल का उपयोग होता है।
- फास्फोरस पौधों की जड़ों को मजबूत करता है, गंधक, मैग्नीशियम क्लोरोफिल और सल्फर पौधों की ग्रोथ बढ़ाता है।
- उपरोक्त सभी रसायनिक पदार्थ मिलकर कीड़ों को मारकर उन्हें पनपने नहीं देते हैं।
कैसे करें माचिस की तीलियों का गमले में उपयोग?
- मिट्टी में कंडे यानी उपले का चूरा करके मिलाकर ही गमले में मिट्टी भरना चाहिए।
- इस मिट्टी में एक तिहाई बालू रेत भी मिला देंगे तो गमले में पर्याप्त माता में नमी बनी रहेगी।
- इसके अलावा पौधा रोपण करते वक्त इस बात का ध्यान भी रखना चाहिए कि जड़ों पर मिट्टी का दबाव न हो।
- पौधों में एक दिन छोड़कर पानी डालें। प्रतिदिन रोज इन पौधों को आधा से एक घंटा धूप दिखा सकते हैं।
- हर हफ्ते गमले की मिट्टी की खुदाई करते रहें।
- अब माचिस की तीलियां गमले में लगने के पहले मिट्टी हल्की गिली रखें।
- तीलियों के जिस साइड ज्वलनशील मसाल होता है उसे गमले में दबाकर छोड़ दें।
- इस तरह उचित दूरी पर माचिस की अन्य तीलियां भी लगा दें।
- मिट्टी के गिले रहने पर माचिस की तीलियों में मौजूद रसायन पौधे की जड़ तक आसानी से पहुंच जाएगा।
- इससे पौधों की जड़ों में और मिट्टी में कीड़े नहीं लगेंगे और पौधे की ग्रोथ भी अच्छी होती है।
- करीब 15 से 20 दिनों बाद तीलियों को हटा दें और इसके बाद करीब 2 से 3 माह बाद इस प्रयोग को फिर से कर सकते हैं।
- ध्यान रहे कि एक साथ एक ही जगह पर कई तीलियां न लगाएं।
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