Saptami Shradh 2023: हिन्दू कैलेंडर के अनुसार वर्ष 2023 में सप्तमी तिथि का श्राद्ध गुरुवार, 5 अक्टूबर को मनाया जाएगा। आइए जानते हैं सप्तमी का श्राद्ध क्यों, किसके लिए और कैसे करते हैं। साथ ही जानें शुभ मुहूर्त भी-
कैसे करें श्राद्ध :
1. पितरों के लिए घी का दीप जलाएं, चंदन की धूप जलाएं। पितरों का पूजन करें। देवताओं को सफेद फूल, सफेद तिल, तुलसी पत्र समर्पित करें।
2. गंगाजल, कच्चा दूध, तिल, जौ मिश्रित जल की जलांजलि देते हैं। इसके लिए एक भगोने में जल ले लें और यज्ञोपवित धारण करके तर्पण करें।
3. पहले पूर्वाभिमुख होकर देवताओं को, उत्तर में मुख करके देवताओं को और दक्षिण में मुख करके पितरों को तर्पण करें। पिंडदान के साथ ही जल में काले तिल, जौ, कुशा, सफेद फूल मिलाकर तर्पण किया जाता है।
4. सामान्य विधि के अनुसार पिंडदान में चावल, गाय का दूध, घी, गुड़ और शहद को मिलाकर पिंड बनाए जाते हैं और उन्हें पितरों को अर्पित किया जाता है।
5. पिंड बनाने के बाद हाथ में कुशा, जौ, काला तिल, अक्षत् व जल लेकर संकल्प करें। इसके बाद इस मंत्र को पढ़े. “ॐ अद्य श्रुतिस्मृतिपुराणोक्त सर्व सांसारिक सुख-समृद्धि प्राप्ति च वंश-वृद्धि हेतव देवऋषिमनुष्यपितृतर्पणम च अहं करिष्ये।।'
6. इसके बाद पंचबलि अर्थात गोबलि, श्वानबलि, काकबलि और देवादिबलि कर्म जरूर करें। अर्थात इन सभी के लिए विशेष मंत्र बोलते हुए भोजन सामग्री निकालकर उन्हें ग्रहण कराई जाती है।
7. अंत में चींटियों के लिए भोजन सामग्री पत्ते पर निकालने के बाद ही भोजन के लिए थाली अथवा पत्ते पर ब्राह्मण हेतु भोजन परोसा जाए। सप्तमी श्राद्ध में 7 ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए।
8. इस दिन जमई, भांजे, मामा, नाती और कुल खानदान के सभी लोगों को अच्छे से पेटभर भोजन खिलाकर दक्षिणा जरूर दें।
9. गुरुढ़ पुराण के अनुसार श्राद्ध करने से पूरे कुल में कोई दु:खी नहीं रहता। षष्ठी का श्राद्ध विधिवतरूप से करने से सभी तरह के कार्य सफल होते हैं।
किनका करें श्राद्ध करना चाहिए-
- जिन लोगों का देहांत इस दिन अर्थात तिथि अनुसार दोनों पक्षों (कृष्ण या शुक्ल) सप्तमी तिथि हो हुआ है उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है। यदि आपको अपनी पितरों की मृत्यु तिथि नहीं याद है तो आप सर्वपितृ अमावस्या पर श्राद्ध कर सकते हैं। सर्वपितृ अमावस्या पर ज्ञात-अज्ञात सभी पितरों का श्राद्ध करने की परंपरा है। इसे पितृविसर्जनी अमावस्या, महालय समापन आदि नामों से जाना जाता है।
- यदि आपको पितरों की मृत्यु किसी दुर्घटना में, जल में डूबने, शस्त्रों के आघात या विषपान करने से हुई हो, उनका चतुर्दशी की तिथि में भी श्राद्ध किया जाना चाहिए। सौभाग्यवती स्त्री, माता या जिन महिलाओं की मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं है उनका नवमी तिथि को श्राद्ध किया जाता है। इसे अविधवा और मातृ नवमी भी कहा गया है। एकादशी तिथि को संन्यास लेने वाले या संन्यासियों का श्राद्ध किया जाता है। जिन बच्चों की जिस तिथि में मृत्यु हुई हो उस तिथि के अलावा त्रयोदशी तिथि को बच्चों का श्राद्ध किया जाता है।
ये कार्य न करें-
इस दिन शराब पीना, मांस खाना, श्राद्ध के दौरान मांगलिक कार्य करना, झूठ बोलना और ब्याज का धंधा करने से भी पितृ नाराज हो जाते हैं। साथ ही सप्तमी श्राद्ध वाले दिन गृह कलह न करें, चरखा, मांसाहार, बैंगन, प्याज, लहसुन, बासी भोजन, सफेद तील, मूली, लौकी, काला नमक, सत्तू, जीरा, मसूर की दाल, सरसो का साग, चना आदि वर्जित माना गया है। कोई यदि इनका उपयोग करता है तो पितर नाराज हो जाते हैं।
सप्तमी श्राद्ध के शुभ मुहूर्त एवं अनुष्ठान का समय : Thursday ShraddhaMuturat Time 2023
सप्तमी श्राद्ध : गुरुवार, 5 अक्टूबर 2023 को
सप्तमी तिथि का प्रारंभ- बुधवार, 4 अक्टूबर, 2023 को 09.11 पी एम बजे से
सप्तमी तिथि समाप्त- गुरुवार, 5 अक्टूबर, 2023 को 10.04 पी एम बजे तक।
रवि योग- 05.11 ए एम से 11.10 ए एम तक।
कुतुप मूहूर्त- 10.53 ए एम से 11.42 ए एम
अवधि- 00 घंटे 49 मिनट्स
रौहिण मूहूर्त- 11.42 ए एम से 12.31 पी एम
अवधि- 00 घंटे 49 मिनट्स
अपराह्न काल- 12.31 पी एम से 02.57 पी एम
अवधि- 02 घंटे 27 मिनट्स
5 अक्टूबर के अन्य मुहूर्त-
ब्रह्म मुहूर्त- 03.37 ए एम से 04.24 ए एम
प्रातः सन्ध्या- 04.00 ए एम से 05.11 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 10.53 ए एम से 11.42 ए एम
विजय मुहूर्त- 01.20 पी एम से 02.09 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 05.24 पी एम से 05.48 पी एम
सायाह्न सन्ध्या- 05.24 पी एम से 06.35 पी एम
अमृत काल- 6 अक्टूबर 02.15 ए एम से 6 अक्टूबर 03.58 ए एम तक।
निशिता मुहूर्त- 10.54 पी एम से 11.41 पी एम
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