क्यों पहनते हैं माणिक्य : यदि आपकी कुंडली में सूर्य ग्रह नीच का है या किसी शत्रु ग्रह के साथ बैठा है तो उसे मजबूत बनाने के लिए ज्योतिष की सलाह पर माणिक्य रत्न पहनकर अपनी किस्मत को चमका सकते हैं क्योंकि सूर्य के शुभ फल देने से जातक शासन प्रशासन सहित उच्च क्षेत्र में अच्छा पद और मान सम्मान प्राप्त करता है।
माणिक्य के उपरत्न : रेड गार्नेट यानी तामड़ा अथवा ताम्रमणि, रेड टर्मेलाइन यानी लाल तुरमली, स्पिनील या स्पाइनल यानी कंटकिज़, रेड स्वरोस्की, लालड़ी अथवा सूर्यमणि, सींगली एवं सूर्याश्म सभी को माणिक्य का उपरत्न माना जाता है। खालिस तांबे की अंगूठी से भी सूर्य पीड़ा को शांत किया जा सकता है।
किस धातु और अंगुली में पहनें माणिक्य : माणिक को तांबे या सोने की अंगूठी में जड़वाकर अनामिका में धारण करते हैं। माणिक के सभी उपरत्नों को चांदी में पहना जा सकता है।
माणिक्य के प्रभाव : माणिक्य का प्रभाव अंगूठी में जड़ाने के समय से 4 वर्षों तक रहता है, इसके बाद दूसरा माणिक्य जड़वाना चाहिए। यही नियम उपरोक्त उप रत्नों पर भी लागू होते हैं।
माणिक पहनने के फायदे : माणिक या माणिक्य से राजकीय और प्रशासनिक कार्यों में सफलता मिलती है। यदि इसका लाभ हो रहा है तो आपके चेहरे पर चमक आ जाएगी अन्यथा सिरदर्द होगा और पारिवारिक समस्या भी बढ़ जाएगी। अपयश झेलना पड़ सकता है।
किस रत्न के साथ न पहनें और किसके साथ पहनें : माणिक को नीलम, हीरा और गोमेद के साथ पहनना नुकसानदायक हो सकता है। माणिक्य को लोहे की अंगुठी में जड़वाकर पहनना नुकसानदायक है। माणिक को मोती, पन्ना, मूंगा और पुखराज के साथ पहन सकते हैं।
नुकसान : यह रत्न सूर्य ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है और इसे कुंडली के अनुसार ही धारण करने का विधान है अन्यथा यह नुकसान पहुंचा सकता है। नकली माणिक पहने से भी कई तरह के नुकसान झेलने पड़ सकते हैं। कहते हैं कि सबसे उत्तम बर्मा का माणिक होता है। कितने कैरेट या रत्ती का माणिक पहनना चाहिए यह भी जानना जरूरी है। ऐसा भी होता है कि ज्यादा कैरेट का आपको सूट ना हो या कम कैरेट का सूट ना हो। माणिक को शनि की राशियों या लग्न में माणिक पहनने से पूर्व ज्योतिष की सलाह जरूर लें।
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