दिक्दोषनाशक यंत्र :-
सभी दिशाओं के दोष के निवारण हेतु इस यंत्र का प्रयोग करते है, जिसमें सभी दिशाओं और दिक्पालों का पूजन किया जाता है। यदि आपके घर में शौचालय, किचन और बाथरूम गलत दिशा में निर्मित हो गए हैं तो इस यंत्र को स्थापित कर सकते हैं। इससे गलत दिशा का दोष मिट जाएगा और जीवन में आ रही समस्याएं दूर होगी।
वरुण यंत्र :-
वरुण देव जल के देवता है। वरुण का अर्थ जल भी होता है। घर में जल संबंधी दोषों को समाप्त करने के लिए इस यंत्र की स्थापना करते है। जैसे यदि आपके घर में पानी की टंकी, नलकूप, नल, स्विमिंग पूल, वॉटरहेड या जल संबंधी कोई चीज आग्नेय कोण में बन गई है तो यह वरुण यंत्र स्थापित करें। इससे इस दोष का निवारण हो जाएगा।
दोनों की यंत्रों को पहले विधि-विधान से पूजन जरूर कराएं और फिर इन्हें उचित जगह पर स्थापित करवाएं तभी सभी दोष से मुक्ति मिल सकती है। वास्तु यंत्र को बनवाते वक्त धातु का ध्यान रखें। यह अष्टधातु का बनता है। लोहे या पत्थर का वास्तु यंत्र नहीं बनता है। वास्तु यंत्र स्थापित करने से पहले उचित मुहूर्त देखा जाना भी जरूरी है। वास्तु यंत्र के लिए ईशान कोण की दिशा ही उचित मानी जाती है लेकिन घर की वास्तु स्थिति देखकर ही इसे स्थापित करें।
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