Mahesh Navami 2024: महेश नवमी के अवसर पर करें इस स्तोत्र का पाठ

Mahesh Navami 2024

Mahesh Navami 2024
 

Highlights 

 

उमा महेश्वर स्तोत्र पाठ।   

नमामीशमीशान निर्वाण रूपं...।

महेश नवमी के दिन पढ़ें यह पाठ।  

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Mahesh Navami : हिंदू पंचांग कैलेंडर के अनुसार हर वर्ष ज्येष्ठ शुक्ल नवमी तिथि पर महेश नवमी का पर्व मनाया जाता हैं, जो कि भगवान शिव की आराधना के लिए समर्पित तिथि मानी जाती है।

 

धार्मिक शास्त्रों में भगवान शिव को महेश के नाम से जाना जाता है और मान्यतानुसार देवों के देव महादेव ही माहेश्वरी समाज के संस्थापक हैं। महेश नवमी के दिन भगवान शिव की कृपा पाने के लिए निम्न स्तोत्र का पाठ करना लाभकारी और सभी मनोकामना पूर्ण करने वाला माना गया है। 

 

आइए जानते हैं यहां श्री उमा महेश्वर स्तोत्रं का पाठ... 
 

उमा महेश्वर स्तोत्र : Uma Maheshwara Stotra

 

नम: शिवाभ्यां नवयौवनाभ्याम्, परस्पराश्लिष्टवपुर्धराभ्याम्।

 

नागेन्द्रकन्यावृषकेतनाभ्याम्, नमो नम: शङ्करपार्वतीभ्याम्।।

 

नम: शिवाभ्यां सरसोत्सवाभ्याम्, नमस्कृताभीष्टवरप्रदाभ्याम्।

 

नारायणेनार्चितपादुकाभ्यां, नमो नम: शङ्करपार्वतीभ्याम्।।

 

नम: शिवाभ्यां वृषवाहनाभ्याम्, विरिञ्चिविष्ण्विन्द्रसुपूजिताभ्याम्।

 

विभूतिपाटीरविलेपनाभ्याम्, नमो नम: शङ्करपार्वतीभ्याम्।।

 

नम: शिवाभ्यां जगदीश्वराभ्याम्, जगत्पतिभ्यां जयविग्रहाभ्याम्।

 

जम्भारिमुख्यैरभिवन्दिताभ्याम्, नमो नम: शङ्करपार्वतीभ्याम्।।

 

नम: शिवाभ्यां परमौषधाभ्याम्, पञ्चाक्षरी पञ्जररञ्जिताभ्याम्।

 

प्रपञ्चसृष्टिस्थिति संहृताभ्याम्, नमो नम: शङ्करपार्वतीभ्याम्।।

 

नम: शिवाभ्यामतिसुन्दराभ्याम्, अत्यन्तमासक्तहृदम्बुजाभ्याम्।

 

अशेषलोकैकहितङ्कराभ्याम्, नमो नम: शङ्करपार्वतीभ्याम्।।

 

नम: शिवाभ्यां कलिनाशनाभ्याम्, कङ्कालकल्याणवपुर्धराभ्याम्।

 

कैलासशैलस्थितदेवताभ्याम्, नमो नम: शङ्करपार्वतीभ्याम्।।

 

नम: शिवाभ्यामशुभापहाभ्याम्, अशेषलोकैकविशेषिताभ्याम्।

 

अकुण्ठिताभ्याम् स्मृतिसम्भृताभ्याम्, नमो नम: शङ्करपार्वतीभ्याम्।।

 

नम: शिवाभ्यां रथवाहनाभ्याम्, रवीन्दुवैश्वानरलोचनाभ्याम्।

 

राकाशशाङ्काभमुखाम्बुजाभ्याम्, नमो नम: शङ्करपार्वतीभ्याम्।।

 

नम: शिवाभ्यां जटिलन्धरभ्याम्, जरामृतिभ्यां च विवर्जिताभ्याम्।

 

जनार्दनाब्जोद्भवपूजिताभ्याम्, नमो नम: शङ्करपार्वतीभ्याम्।।

 

नम: शिवाभ्यां विषमेक्षणाभ्याम्, बिल्वच्छदामल्लिकदामभृद्भ्याम्

 

शोभावती शान्तवतीश्वराभ्याम्, नमो नम: शङ्करपार्वतीभ्याम्।।

 

नम: शिवाभ्यां पशुपालकाभ्याम्, जगत्रयीरक्षण बद्धहृद्भ्याम्।

 

समस्त देवासुरपूजिताभ्याम्, नमो नम: शङ्करपार्वतीभ्याम्।।

 

स्तोत्रं त्रिसन्ध्यं शिवपार्वतीभ्याम्, भक्त्या पठेद्द्वादशकं नरो य:।

 

स सर्वसौभाग्य फलानि भुङ्क्ते, शतायुरान्ते शिवलोकमेति।।

 

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