Dussehra 2024 date: दशहरा पर करते हैं ये 10 महत्वपूर्ण कार्य

Highlights 

  • दशहरा में हम क्या करते हैं।
  • दशहरे के दिन के 10 परंपरागत कार्य।
  • विजयदशमी त्योहार की 10 परंपराएं।

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Dussehra 2024: वर्ष 2024 में विजयादशमी या दशहरे का पावन पर्व 12 अक्टूबर, दिन शनिवार को मनाया जा रहा है, यह हिंदुओं का बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष के दसवें दिन भारतभर में दशहरा का पर्व बड़े ही धूमधाम और उत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व असत्य पर सत्य की जीत और विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इसे बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व भी कहा जाता है। इस पर्व को मनाने का प्रचलन अलग-अलग जगहों पर भिन्न हो सकता हैं, परंतु दशहरे के दिन कुछ परंपराएं निभाना बहुत ही आवश्यक माना जाता है। 

 

आइए यहां जानते हैं विजयादशमी/ दशहरे पर कौनसे 10 महत्वपूर्ण कार्य करना बहुत जरूरी कहा गया है। 

 

दशहरे पर करें ये 10 काम : 

 

1. विजयादशमी/ दशहरे के दिन सुबह राम-लक्ष्मण, माता सीता, हनुमान, देवी नवदुर्गा, अपराजिता और शमी वृक्ष तथा वाहन, शस्त्र आदि की साफ-सफाई करके उनका भी पूजन किया जाता है। 

 

2. दशहरे के दिन पीपल, शमी और बरगद के वृक्ष के नीचे और मंदिर में दीया जलाने की परंपरा भी है। इस दिन घर को भी दीये से रोशन किया जाता है।

 

3. इन दिन दुर्गा सप्तशति या चंडी पाठ, हवन आदि धार्मिक कार्य किए जाने की परंपरा है। 

 

4. दशहरे के दिन नए वस्त्र एवं आभूषण धारण करके रावण दहन देखने जाते हैं तथा घर से रावण दहन देखने के लिए जाते समय माथे पर तिलक लगाने की परंपरा भी है।

 

5. इस दिन अपने भीतर की एक बुराई को भी छोड़ने का संकल्प लेने की परंपरा भी है। 

 

6. बच्चों को इस दिन 'दशहरी' देने का भी प्रचलन हैं, इसमें दशहरी के रूप में रुपए, वस्त्र या मिठाई भेंट स्वरूप देते हैं।

 

7. इन दिन पुराने गिले-शिकवे भुलाकर तथा अपनों को गले लगाकर, उसने पुन: रिश्ता कायम किए जाने का भी प्रचलन रहा है।

 

8. विजयादशमी पर खासतौर पर गिल्की के पकौड़े, गुलगुले भजिए यानि मीठे पकौड़े बनाने का प्रचलन है। 

 

9. रावण दहन से लौटते समय शमी के पत्ते लें और उन्हें लोगों को देकर दशहरे की बधाई दें। घर लौटने वाले की आरती उतारकर उनका स्वागत किया जाता है।

 

10. रावण दहन के बाद लोग एक-दूसरे के घर जाकर, गले मिलकर, चरण छूकर बड़ों का आशीर्वाद लेते हैं। दशहरे के दिन शमी के पत्तों को एक-दूसरे को बांटते हैं, जिसे स्वर्ण के प्रतीक समझा जाता है।

 

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