Shraddha Paksha 2025: श्राद्ध पक्ष में द्वादशी तिथि के श्राद्ध का महत्व, विधि, जानिए कुतुप काल मुहूर्त और सावधानियां

How to perform Dwadashi Shraddha: श्राद्ध पक्ष में द्वादशी तिथि का श्राद्ध उन पूर्वजों के लिए किया जाता है, जिनका निधन द्वादशी तिथि को हुआ हो। यह श्राद्ध उन लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है जिन्होंने संन्यास लिया हो। इस दिन श्राद्ध करने से पितरों को मोक्ष मिलता है और उनका आशीर्वाद बना रहता है।ALSO READ: shradh 2025: श्राद्ध कर्म के लिए कुतुप और रोहिण काल का क्यों माना जाता है महत्वपूर्ण, जानें महत्व और सही समय

 

श्राद्ध पक्ष में द्वादशी तिथि का श्राद्ध करना बहुत ही विशेष माना जाता है। इस श्राद्ध को 'संन्यासी श्राद्ध' भी कहते हैं, क्योंकि यह उन पितरों के लिए किया जाता है, जिन्होंने जीवन के अंतिम समय में संन्यास ले लिया था। इसके अलावा, द्वादशी श्राद्ध उन पूर्वजों के लिए भी किया जाता है, जिनकी मृत्यु द्वादशी तिथि को हुई थी।

 

इस साल, श्राद्ध पक्ष में द्वादशी श्राद्ध 18 सितंबर 2025, गुरुवार को किया जाएगा।

 

द्वादशी श्राद्ध 2025: तिथि और कुतुप काल: 

2025 द्वादशी श्राद्ध के मुहूर्त 

 

द्वादशी तिथि प्रारम्भ- 17 सितंबर 2025 को 11:39 पी एम बजे से, 

द्वादशी तिथि समाप्त- 18 सितंबर 2025 को 11:24 पी एम बजे तक।

 

श्राद्ध अनुष्ठान समय

 

अपराह्न काल - 01:46 पी एम से 04:12 पी एम

अवधि - 02 घण्टे 26 मिनट्स

 

कुतुप मुहूर्त - 12:08 पी एम से 12:57 पी एम

अवधि - 00 घण्टे 49 मिनट्स

 

रौहिण मुहूर्त - 12:57 पी एम से 01:46 पी एम

अवधि - 00 घण्टे 49 मिनट्स

 

द्वादशी श्राद्ध का महत्व: इस दिन सन्यासी पूर्वजों का श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को मोक्ष और शांति मिलती है। मान्यता है कि द्वादशी श्राद्ध करने से परिवार में सुख-समृद्धि और लंबी आयु का आशीर्वाद मिलता है। यह श्राद्ध देश में अन्न के भंडार में वृद्धि करता है। विधि-विधान से श्राद्ध करने पर पितृ प्रसन्न होकर वंशजों को हर संकट से बचाते हैं तथा पितरों का आशीर्वाद मिलता है।ALSO READ: ऑनलाइन श्राद्ध धार्मिक रूप से सही या गलत?, जानिए शास्त्रों में क्या है विधान

 

पूजा विधि:

 

पवित्रता: सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें और पूजा के स्थान को गंगाजल से पवित्र करें।

 

तर्पण: हाथ में जल, जौ, कुशा और काले तिल लेकर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितरों का तर्पण करें।

 

पिंडदान: चावल, जौ और तिल से बने पिंडों को पितरों को अर्पित करें।

 

भोजन: पितरों के लिए सात्विक भोजन (जैसे खीर, पूरी, सब्जी) बनाएं।

 

ब्राह्मण को भोजन: भोजन का कुछ अंश गाय, कौवे और कुत्तों को देने के बाद, ब्राह्मण को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा दें।

 

सावधानियां:

 

श्राद्ध के दिन किसी भी प्रकार का तामसिक भोजन (प्याज, लहसुन आदि) न बनाएं और न खाएं।

 

श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को पूरे दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

 

इस दिन बाल, नाखून या दाढ़ी नहीं कटवानी चाहिए।

 

श्राद्ध के बाद जरूरतमंदों को दान अवश्य करें।

 

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।ALSO READ: Pitra Paksh 2025:श्राद्ध के लिए क्यों मानी जाती है कुशा अनिवार्य, जानिए पौराणिक महत्त्व



from ज्योतिष https://ift.tt/ueJRaES
Previous
Next Post »