Amavasya shraddha date time: पितृ पक्ष का अंतिम दिन श्राद्ध करने वालों के लिए खास दिन होता है, जो कि आश्विन कृष्ण अमावस्या को पड़ता है, जिसे सर्वपितृ अमावस्या भी कहते हैं। इस दिन उन सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं है। इस दिन श्राद्ध करने से पितरों को मोक्ष मिलता है और उनका आशीर्वाद बना रहता है।ALSO READ: Sarvapitri amavasya 2025: सूर्य ग्रहण और सर्वपितृ अमावस्या का संयोग, श्राद्ध करने का मिलेगा दोगुना फल
श्राद्ध पक्ष में अमावस्या तिथि को 'सर्व पितृ अमावस्या' या 'पितृ मोक्ष अमावस्या' के नाम से जाना जाता है। यह पितृ पक्ष का अंतिम दिन होता है और इसका विशेष महत्व है। इस दिन उन सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है, या जिनके श्राद्ध को किसी कारणवश उनकी मृत्यु तिथि पर नहीं किया जा सका। यह दिन पितरों की विदाई का दिन होता है, और इस दिन श्राद्ध करने से सभी पितरों को शांति मिलती है। श्राद्ध के लिए 'कुतुप काल' को सबसे उत्तम समय माना जाता है। 2025 में सर्व पितृ अमावस्या 21 सितंबर को है।
सर्व पितृ अमावस्या के मुहूर्त और समय:
आश्विन कृष्ण अमावस्या तिथि का प्रारम्भ- 21 सितंबर, 2025 को 12:16 ए एम बजे
अमावस्या तिथि समाप्त- 22 सितंबर, 2025 को 01:23 ए एम पर होगी।
कुतुप काल मुहूर्त (2025): अमावस्या श्राद्ध अनुष्ठान समय-
अमावस्या श्राद्ध रविवार, सितंबर 21, 2025 को
कुतुप मुहूर्त - 12:07 पी एम से 12:56 पी एम
अवधि - 00 घण्टे 49 मिनट्स
रौहिण मुहूर्त - 12:56 पी एम से 01:44 पी एम
अवधि - 00 घण्टे 49 मिनट्स
अपराह्न काल - 01:44 पी एम से 04:10 पी एम
अवधि - 02 घण्टे 26 मिनट्सALSO READ: Sarvapitra Amavasya 2025: सर्वपितृ अमावस्या पर करें 10 अचूक उपाय
अमावस्या श्राद्ध की विधि:
- श्राद्ध के लिए स्वच्छ जगह चुनें, जैसे घर का आंगन या पवित्र नदी का किनारा।
- श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए।
- सर्व पितृ अमावस्या पर ब्राह्मणों को भोजन कराना अत्यंत पुण्य का कार्य माना जाता है।
- यह भोजन सात्विक और बिना लहसुन-प्याज का होना चाहिए।
- जौ, चावल, काले तिल और दूध से पिंड बनाकर पितरों को पिंड दान अर्पित करें।
- जल, दूध और काले तिल मिलाकर पितरों को तर्पण करें।
- गाय, कौवा, कुत्ता, चींटी और देवताओं के लिए भोजन का अंश निकालें। इसे 'पंचबलि' कहते हैं।
- ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद उन्हें दक्षिणा, वस्त्र और अन्य वस्तुएं दान करें।ALSO READ: Sarvapitri amavasya 2025: सर्वपितृ अमावस्या का श्राद्ध कैसे करें, जानिए कुतुप काल मुहूर्त और सावधानियां
पितृ अमावस्या श्राद्ध की सावधानियां :
श्राद्ध का भोजन: श्राद्ध का भोजन सात्विक होना चाहिए। इसमें लहसुन, प्याज, मसूर की दाल और मांसाहार का प्रयोग बिल्कुल न करें।
नकारात्मकता से बचें: इस दिन घर में किसी भी प्रकार का विवाद, कलह या नकारात्मकता न फैलाएं।
दान: अपनी क्षमता के अनुसार अन्न, वस्त्र और अन्य वस्तुओं का दान करें।
अशुभ कार्य: सर्व पितृ अमावस्या के दिन कोई भी नया कार्य, जैसे नया घर खरीदना या नया व्यवसाय शुरू करना, अशुभ माना जाता है।
पशु-पक्षी: द्वार पर आए किसी भी पशु-पक्षी या गरीब व्यक्ति को भूखा न लौटाएं।
बाल और नाखून: इस दिन बाल और नाखून काटने से बचना चाहिए।
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