
Why is Nag Diwali celebrated: नाग दिवाली, जिसे नाग पंचमी से अलग मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है, भारत के कुछ हिस्सों, विशेषकर मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जैसे क्षेत्रों में एक विशेष पर्व है। यह दीपावली और देव दिवाली के लगभग 20 दिन बाद आती है। यह पर्व नाग देवता, जिन्हें पाताल लोक का स्वामी माना जाता है, के पूजन और सम्मान को समर्पित है।
इस दिन घरों में रंगोली बनाते हैं और दीपक जलाते हैं। यह पर्व प्राचीन पौराणिक कथाओं और गहन धार्मिक महत्व से जुड़ा हुआ है, जो इसे भारतीय संस्कृति का एक अनूठा और महत्वपूर्ण हिस्सा बनाता है। यह त्योहार प्रकाश, आस्था और सांपों के प्रति सम्मान का प्रतीक है, जो प्रकृति और आध्यात्मिकता के बीच के अटूट संबंध को दर्शाता है। इस वर्ष यह त्योहार 25 नवंबर, दिन मंगलवार को मनाया जा रहा है। साथ ही इस दिन को विवाह पंचमी के रूप में भी मनाया जाएगा।ALSO READ: Vivah Panchami 2025: विवाह पंचमी पर शीघ्र शादी और उत्तम वैवाहिक जीवन के लिए 8 अचूक उपाय
आइए यहां जानते हैं इस त्योहार के बारे में विस्तृत जानकारी...
नाग दिवाली क्या है?
तिथि, स्वरूप और क्षेत्र: यह पर्व मार्गशीर्ष (अगहन) माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। यह अक्सर देव दिवाली या कार्तिक पूर्णिमा के लगभग 20 दिन बाद आता है। यह त्योहार भी एक तरह से नाग पूजा से संबंधित है, जैसे श्रावण मास की नाग पंचमी मनाई जाती है।
इस दिन नाग देवता की विशेष पूजा की जाती है और उनके प्रतीक के सामने दीपक जलाकर दिवाली मनाई जाती है। यह विशेष रूप से उत्तराखंड के चमोली जिले और मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जैसे कुछ क्षेत्रों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।
क्यों मनाई जाती है और इसका महत्व क्या है?
नाग दिवाली मनाने के पीछे कई धार्मिक मान्यताएं और महत्व जुड़े हुए हैं:
पाताल लोक के स्वामी का पूजन: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, नागों को पाताल लोक का स्वामी माना जाता है। इस तिथि पर उनका पूजन करने से पाताल लोक के देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
कालसर्प दोष निवारण: यह माना जाता है कि नाग दिवाली के दिन नाग देवता की विशेष पूजा और दीपदान करने से कुंडली में मौजूद कालसर्प दोष का पूरी तरह से निवारण हो जाता है। कालसर्प दोष जीवन में कई तरह की समस्याएं, जैसे विवाह में देरी, नौकरी या व्यापार में कठिनाई, आकस्मिक दुर्घटना पैदा करता है, इसका निवारण हो जाता है।
वंश वृद्धि और सुख-समृद्धि: कुछ क्षेत्रों, जैसे छिंदवाड़ा, में मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और नाग देवता की पूजा करने से वंश वृद्धि होती है और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
मनोकामना पूर्ति: इस अवसर पर घरों में नाग के प्रतीक की रंगोली बनाकर या उनकी मूर्ति के सामने दीपक जलाने और पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और जीवन की सभी समस्याओं का समाधान होता है।ALSO READ: Vivah Panchami 2025: विवाह पंचमी कब है, क्यों नहीं करते हैं इस दिन विवाह?
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।
from ज्योतिष https://ift.tt/qEMG7Pk
EmoticonEmoticon