
वर्ष का राजा गुरु: 19 मार्च 2026 से रौद्र नाम संवत्सर प्रारंभ होगा। यानी विक्रम संवत 2083 से प्रारंभ होगा रौद्र संवत्सर। इस संवत्सर के राजा गुरु और मंत्री मंगल होंगे। इस बार नववर्ष गुरुवार से शुरू हो रहा है, इसलिए इस वर्ष के राजा गुरु (बृहस्पति) होंगे। गुरु को धर्म, अध्यात्म, ज्ञान, नैतिकता, न्याय और शिक्षा का प्रतीक माना जाता है। इसी के साथ ही गुरु की धातु सोना और पीतल है। नग में पुखराज उसका नग है।
सोना रहेगा टॉप पर: वर्तमान में बृहस्पति मिथुन राशि में अतिचारी है। 2 जून 2026 को वे कर्क राशि में उच्च के होकर गोचर करेंगे। जब बृहस्पति उच्च के होंगे तो वे सोने के दाम आसमान पर पहुंचा देंगे। इसलिए अभी से ही सोने में निवेश करना फायदेमंद रहेगा।
वर्ष 2026 के ग्रह गोचर: वर्ष 2026 में बृहस्पति 2 जून तक मिथुन राशि में रहेंगे, फिर 2 जून से 31 अक्टूबर तक कर्क राशि में रहेंगे। कुंभ से निकलकर 5 दिसंबर को राहु मकर में गोचर करेगा। सिंह से निकलकर केतु कर्क में गोचर करेगा। 16 जनवरी 2026 को धनु से निकलकर मंगल मकर में गोचर करेगा। इसके बाद वह कुंभ, मीन, मेष, मिथुन, कर्क और सिंह में गोचर करेंगे। इस बीच शनि की वक्री और मार्गी गति मीन में ही रहेगी। मूलत: शनि, बृहस्पति, राहु, केतु और मंगल का ही ज्यादा प्रभाव रहेगा।
ग्रह गोचर का फल: कई देशों में मंदी के संकेत हैं लेकिन भारत की अर्थ व्यवस्था में जबरदस्त उछाल आएगा। जब गुरु कर्क राशि में प्रवेश करेंगे, तो यह उच्च अवस्था में होंगे, जिससे कुछ समय के लिए आर्थिक स्थिरता, सरकारी कल्याण योजनाओं, कृषि और रियल एस्टेट क्षेत्र में सुधार की उम्मीद की जा सकती है। चांदी की अपेक्षा सोना तेजी से बढ़ेगा। शेयर मार्केट में संतुलन बना रहेगा।
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