
1. धन योग:
कुंडली में धन योग तब बनता है जब धन (दूसरा भाव), लाभ (ग्यारहवां भाव), भाग्य (नौवां भाव) और केंद्र/त्रिकोण भावों के स्वामी आपस में संबंध बनाते हैं, जैसे राशि परिवर्तन करना, युति (साथ बैठना) करना, या शुभ दृष्टि डालना, जिससे जीवन में धन, समृद्धि और वित्तीय स्थिरता आती है, खासकर जब धन और लाभ भाव के स्वामी, या लग्नेश, आपस में जुड़ते हैं या शुभ ग्रहों से प्रभावित होते हैं.
2. धन के 'पावर हाउस' (दूसरा और ग्यारहवां भाव)
कुंडली के 12 घरों में से दो घर सीधे तौर पर आपके बैंक बैलेंस से जुड़े होते हैं:
द्वितीय भाव (2nd House): इसे 'धन भाव' कहते हैं। यह आपकी जमा पूंजी, बैंक बैलेंस और पैतृक संपत्ति (Legacy) को दर्शाता है।
एकादश भाव (11th House): इसे 'आय भाव' (House of Gains) कहते हैं। यह आपकी नियमित कमाई, प्रॉफिट और इच्छाओं की पूर्ति को दर्शाता है।
सूत्र: यदि इन दोनों घरों के स्वामी (भावेश) मजबूत स्थिति में हों या एक-दूसरे के घर में बैठे हों, तो व्यक्ति के पास अपार धन होता है।
3. धन के कारक ग्रह: बृहस्पति और शुक्र
घरों के अलावा ग्रहों का मजबूत होना भी अनिवार्य है:
बृहस्पति (Jupiter): इन्हें 'धन का कारक' माना जाता है। यदि कुंडली में गुरु शुभ होकर केंद्र या त्रिकोण में हैं, तो जातक को कभी धन की कमी नहीं होती। बृहस्पित को बल देने वाले ग्रह मंगल और चंद्रमा हैं।
शुक्र (Venus): शुक्र सुख-सुविधा और विलासिता (Luxury) के देव हैं। धन होने के बावजूद आप उसका सुख भोग पाएंगे या नहीं, यह शुक्र तय करते हैं। शुक्र को बल देने वाले ग्रह मंगल और बुध है।
4. प्रमुख 'धन योग' (Wealth Yogas)
कुछ विशेष योग कुंडली में हों, तो व्यक्ति शून्य से शिखर तक पहुँचता है:
लक्ष्मी योग:यदि लग्नेश (पहले घर का स्वामी) भाग्येश (नौवें घर का स्वामी) के साथ केंद्र में बैठा हो, तो इसे लक्ष्मी योग कहते हैं।
गजकेसरी योग: जब गुरु और चंद्रमा एक-दूसरे से केंद्र (1, 4, 7, 10) में हों, तो व्यक्ति अपनी बुद्धि से बहुत धन कमाता है।
पंच महापुरुष योग: यदि मंगल, बुध, गुरु, शुक्र या शनि अपनी उच्च राशि में होकर केंद्र में हों, तो राजयोग बनता है और व्यक्ति राजसी जीवन जीता है।
5. 'भाग्य' का साथ (नौवां भाव):
बिना भाग्य के धन टिकना मुश्किल होता है। कुंडली का नौवां भाव (9th House) यह तय करता है कि आपको मिलने वाला अवसर धन में बदलेगा या नहीं। यदि नौवें घर का स्वामी बलवान है, तो व्यक्ति कम मेहनत में भी ज्यादा धन प्राप्त कर लेता है।
6. धन प्राप्ति में बाधक योग (दरिद्र योग)
- कभी-कभी धन के योग होते हैं लेकिन कुछ दोष उन्हें रोक देते हैं:
- यदि दूसरे या ग्यारहवें घर का स्वामी 6, 8, या 12वें घर (त्रिक भाव) में बैठ जाए, तो पैसा आने में बहुत रुकावटें आती हैं।
- चंद्रमा पर राहु या केतु का प्रभाव (ग्रहण दोष) मानसिक अस्थिरता के कारण आर्थिक नुकसान कराता है।
घर बैठे कैसे चेक करें?
- आप अपनी कुंडली (Lagna Chart) खोलकर देखें:
- क्या बृहस्पति स्वराशि (धनु, मीन) या उच्च राशि (कर्क) में हैं?
- क्या दूसरे और ग्यारहवें घर में कोई शुभ ग्रह (बुध, शुक्र, गुरु) बैठा है?
- क्या लग्नेश (पहले घर का स्वामी) मजबूत स्थिति में है?
विशेष टिप: ज्योतिष में एक 'इन्दू लग्न' भी होता है, जो विशेष रूप से यह जानने के लिए देखा जाता है कि व्यक्ति करोड़पति बनेगा या नहीं।
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