Vighneshwar Chaturthi 2025: 23 या 24 दिसंबर, कब रखा जाएगा विघ्नेश्वर चतुर्थी व्रत, जानें पूजन विधि, महत्व और मुहूर्त

How to Prepare for Ganesh Chaturthi: विघ्नेश्वर गणेश चतुर्थी एक प्रमुख हिन्दू पर्व है, जो भगवान गणेश की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है। इस दिन लोग विशेष रूप से गणेश जी की विशेष पूजा करते हैं ताकि जीवन की सभी विघ्न-बाधाओं से छुटकारा मिल सके। इस बार यह साल 2025 की अंतिम गणेश चतुर्थी मनाई जा रही है।ALSO READ: संकटों का अंत और सुखों का आरंभ: क्यों खास है चतुर्थी का उपवास?  

 

विघ्नेश्वर चतुर्थी का महत्व: विघ्नेश्वर चतुर्थी व्रत के दिन श्रीगणेश जी की पूजा का विशेष दिन है, जो खास रूप से उनके भक्तों द्वारा बड़े श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों द्वारा किया जाता है, जो किसी प्रकार के विघ्न और बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए पूजा करते हैं। 

 

विघ्नेश्वर चतुर्थी का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन भगवान गणेश का पूजन करके जीवन की सभी विघ्न-बाधाओं से छुटकारा पाया जाता है। कहा जाता है कि भगवान गणेश भक्तों के सारे कष्ट दूर करते हैं और सुख-शांति प्रदान करते हैं। यह व्रत विशेष रूप से शुभ कार्यों, परीक्षा, विवाह, या किसी बड़े काम की शुरुआत से पहले किया जाता है, ताकि कोई विघ्न या परेशानी न आए।

 

विघ्नेश्वर चतुर्थी का मुहूर्त: अगर आपको आज के दिन पूजा करने का मुहूर्त चाहिए तो गणेश पूजा का मुहूर्त आम तौर पर दिन में सुबह सूर्योदय से लेकर दोपहर तक होता है। इस मुहूर्त के दौरान पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं। पूजन मुहूर्त पर ध्यान देना बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए इस दिन की तिथि और समय के अनुसार पूजा करना सर्वोत्तम होता है। 

 

24 दिसंबर, 2025, बुधवार, विघ्नेश्वर चतुर्थी के शुभ मुहूर्त:

 

पौष शुक्ल चतुर्थी तिथि का प्रारम्भ- 23 दिसंबर 2025 को 12:12 पी एम से, 

चतुर्थी तिथि की समा‍प्ति- 24 दिसंबर 2025 को 01:11 पी एम पर।  

 

चतुर्थी मध्याह्न मुहूर्त- 11:19 ए एम से 01:11 पी एम तक। 

चतुर्थी: 01 घंटा 52 मिनट्स

 

पूजन विधि: 

 

1. स्नान और शुद्धि: इस दिन पूजा करने से पहले शुद्ध स्नान करें और अच्छे कपड़े पहनें।

 

2. गणेश मूर्ति का पूजन: घर में भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। अगर आपके पास गणेश की मूर्ति है तो उसे स्वच्छ करके ताजे फूल चढ़ाएं।

 

3. गणेश मंत्र का उच्चारण: 'ॐ गण गणपतये नमः' या 'ॐ श्री गणेशाय नमः' का जाप करें।

 

4. दीप और नैवेद्य: एक दीपक जलाएं और भगवान गणेश को मोदक, लड्डू या अन्य प्रिय भोग अर्पित करें।

 

5. धूप और अगरबत्ती: धूप और अगरबत्ती जलाकर वातावरण को शुद्ध करें।

 

6. व्रत का संकल्प: आप संकल्प लें कि आप व्रत में संयमित जीवन जीने का प्रयास करेंगे।

 

7. प्रसाद वितरण: पूजा के बाद प्रसाद बांटे और परिवार के सभी सदस्य गणेश जी के आशीर्वाद से समृद्ध और खुशहाल जीवन की कामना करें।

 

नोट: आप अपने स्थानीय पंचांग या तिथि के अनुसार सही समय जान सकते हैं।ALSO READ: 28 दिसंबर से प्रारंभ होगा शाकंभरी उत्सव, कैसे करें पूजा की तैयारी

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