आषाढ़ मास का अंतिम विवाह लग्न मुहूर्त 16 जुलाई को है, इसके बाद 21 जुलाई से चातुर्मास प्रारंभ हो रहा है, आने वाले 5 माह तक विवाह संस्कार के लिए शुभ मुहूर्त नहीं होने के कारण हिंदू धर्म में 16 जुलाई से शहर हो या गाँव कहीं भी शहनाइयाँ नहीं बजेंगी । नवंबर माह में देवउठनी एकादशी के बाद फिर से विवाह मुहूर्त शुरू हो जाएंगे ।
पं. अरविंद तिवारी ने बताया कि आषाढ़ मास में इस बार विवाह मुहूर्त कम होने के कारण ही बीते ज्येष्ठ माह में भारी मात्रा में विवाह संपन्न हुए हैं, वैसे भी वर्षा ऋतु होने के कारण आषाढ़ मास में अधिकांश लोग विवाह संस्कार करने से बचते है । 27 जून 2018 से आषाढ़ मास लग चूका है, और इस माह में केवल 8 दिन के ही विवाह मुहूर्त हैं, आषाड़ माह में 16 जुलाई 2018 को विवाह का अंतिम लग्न मुहूर्त हैं, इसके बाद अब आगामी 5 महीनों तक विवाह संस्कार नहीं होंगे । क्योंकि विवाह के कारक माने जाने वाले गुरु और शुक्र दोनों ही ग्रह इस अवधि में अस्त होते रहते है, यही कारण की विवाह जैसे पुनीत कार्य को करने से लोग बचते हैं ।
पं. तिवारी की माने तो रविवार 1 जूलाई के बाद 3, 4, 8, 9, 14, 15 व 16 जुलाई को विवाह के शुभ मुहूर्त है । इसके बाद 21 जुलाई को विष्णु एकादशी है, इस दिन से देवी-देवता चार माह के लिए शयन करने चले जाते हैं जो कि चातुर्मास कहलाता है । देवी-देवताओं के चार माह तक शयन में जाने की अवधि तक शास्त्रों के मुताबिक सभी मांगलिक कार्य करना वर्जित रहते हैं ।
इसी कारण 5 माह के लिए विवाह कार्यक्रमों में विराम लग जाता है, और इन महीनों में शहनाई की गूँज सुनाई देना बंद हो जाती है । पांच माह बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी को देवता शयन से उठ जाते है, जिसे देवउठनी एकादशी कहा जाता है, देवउठनी एकादशी के बाद फिर से विवाह संस्कार होना शुरू हो जाएंगे ।
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