वैसे तो प्रत्येक माह की पूर्णिमा का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व होता है, लेकिन अन्य पूर्णिमाओं की अपेक्षा 27 जून 2018 को पड़ने वाली ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा का महत्त्व अधिक माना जाता है, पवित्र व पावन मानी जाने वाली ज्येष्ठ पूर्णिमा पर लोग स्नान-दान करते है । लेकिन खास बात यह हैं कि इस दिन अमरनाथ यात्रा की शुरुआत होती है और श्रद्धालु गंगाजल लेकर भगवान भोलेनाथ को चढ़ाने के लिए अमरनाथ जाते हैं ।
वट पूर्णिमा भी कहा जाता हैं
शास्त्रों के अनुसार ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की ज्येष्ठ पूर्णिमा को वट पूर्णिमा भी कहा जाता है, इस दिन विवाहित महिलाएं अपने परिवार की खुशहाली और सुख शांति भरे जीवन की कामना के लिए वट (बरगद) वृक्ष की पूजा करती हैं, वट पूजा का मुहूर्त 27 जून को सुबह 8 बजकर 12 मिनट से लेकर दूसरे दिन 28 जून को सुबह 10 बजकर 22 मिनट तक बजे तक रहेगा ।
व्रत के साथ पूजा
जो भी श्रद्धालु इस दिन उपवास रखना चाहते वे सुबह स्नान आदि करने के बाद, हाथ में थोड़े से सफेद चावल व शुद्ध जल लेकर पूरे दिन का उपवास रखने का संकल्प लेना चाहिए, इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा करने का भी विशेष महत्व माना गया है । बरगद के पेड़ की पूजा- अन्न, फूल, गुड़, धूप, दीप आदि से करें । विवाहित महिलाएं इस दिन अपने अमर सुहाग की कामना से सुहाग का सभी सामान भी चढ़ाते हुए पूजन के साथ वट वृक्ष में सफेद धागे से 11 या 21 की संख्या में फेरे लगाती हैं ।
चंद्रमा की पूजा
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन रात के समय चंद्रमा की विध विधान से पूजन में पका हुआ ताजा अन्न, फल, फूल, गुड़, धूप, दीप व गाय के घी का दीपक आदि से विशेष पूजा अर्चना करने के बाद गाय के दुध से बनी खीर का भोग भी चंद्रमा को लगाना चाहिए । साथ ही एक मिट्टी के घड़े में शुद्ध जल भरकर उस जल भरे घड़े का दान करने से हर कार्य में सफलता मिलने लगती हैं । साथ ही इस दिन स्वादिष्ट भोजन घर में बनाकर किसी गरीब या भूखे इंसान को दान करने से घर में अन्न की कभी भी कमा नहीं रहती ।
ज्येष्ठ पूर्णिमा पर इस मंत्र का करें जप
पूर्णिमा के दिन हर कार्य में पूर्णता की कामना से चंद्रमा की पूजा करने वाले श्रद्धालु पूजा करते समय इस मंत्र का 108 बार जब अवश्य करें ।
।। वसंतबान्धव विभो शीतांशो स्वस्ति न: कुरु ।।
।। गगनार्णवमाणिक्य चन्द्र दाक्षायणीपते ।।
वट पूर्णिमा
कहा जाता हैं कि इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा इसलिए की जाती है, क्योंकि इसी दिन यमराज ने सत्यवान के प्राणों को हर लिया था, और फिर सत्यवान की पत्नी सावत्रिी ने बरगद के पेड़ के नीचे यमराज के साथ लगभग तीन दिनों तक अपने पति के पुनः जीवन दान की कामना से बहस की थी, सावित्री के इसी तप से प्रसन्न होकर यमराज ने सत्यवान के प्राणों को वापस दे दिया था । तभी से इस पूर्णिमा को वट पूर्णिमा के रूप में भी मानाया जाने लगा ।
शुभ मुहूर्त
27 एवं 28 जून 2018- ज्येष्ठ पूर्णिमा व वट पूर्णिमा उपवास तिथि
27 जून को सुबह 08 बजकर 12 मिनट पर शुरू होगी ।
28 जून को सुबह 10 बजकर 22 मिनट तक रहेगी ।
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