ज्योतिष शास्त्र में व्यक्ति की समस्याओं का कारण व निवारण दोनों ही मिल जाता है, लेकिन यह तभी संभव है जब व्यक्ति को अपने जन्म के विषय में सहीं पता हो, जैसे जन्म की तारीख, सही समय और जन्म का स्थान आदि । इन सब के आधार पर भी व्यक्ति की लग्न कुंडली बनती है जिससे ग्रहों की शुभता और अशुभता का पता लगाया जा सकता हैं । अगर जन्म कुंडली नहीं है तो भी आप इस देवता की शरण में जाकर उनकी पूजा आराधना कर जीवन में आ रहे कष्टों का निवारण आसानी से कर सकते है ।
ज्योतिष शास्त्र कहता है कि यदि किसी व्यक्ति को उसके जन्म के विषय में जानकारी नहीं है तो उनको श्री शनि देव महाराज की उपासना करनी चाहिए, शनि देव ही एकमात्र ऐसे देव हैं जो पृथ्वी पर रहने वाले हर जीव के कर्मों के अनुसार उनको फल देते है, व्यक्ति की हर समस्या के पीछे कहीं न कहीं शनि देव ही होते हैं, मनुष्य के हर सुख - दुःख के निर्माता श्री शनिदेव ही है । शनिदेव व्यक्ति द्वारा किये गये पापों के बदले उन्हें दण्ड भी देते है और अच्छे कर्म करने वालों को सुख सुविधा भरा जीवन भी प्रदान करते हैं । इसलिए जन्म कुंडली के विषय में ठीक से जानकारी न होने पर व्यक्ति को शनिदेव की शरण में जाकर उनकी आराधना करते हुए कष्टों के निवारण की प्रार्थना करनी चाहिए ।
शनि देव की पूजा आराधना विधि
1- शुक्ल पक्ष के किसी भी शनिवार को सुबह सूर्योदय से पहले पीपल के पेड़ में जल अर्पित करने के बाद, सरसों के तेल का दीपक पीपल के पेड़ के नीचे जलाकर वहीं किसी आसन पर बैठकर, इस मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जप करें ।
मंत्र
ॐ शं शनैश्चराय नमः ।।
2- शनिवार की शाम को 7 या 11 नग गुलगुले बनाकर अपने सिर के ऊपर से सात बार उतारकर शनि देव का ध्यान करते हुए किसी काले कुत्ते को खिला दें ।
3- शनिवार शाम को एक मोटी रोटी बनाकर उस पर सरसों का तेल लगाकर उस रोटी के चार टुकड़े करके अपने ऊपर से 7 बार उतारकर किसी काले कुत्ते को खिलायें ।
4- शनिवार के दिन किसी बिजार ( गाय की नर प्रजाति ) को गुड़ और तेल रोटी में मिलाकर खिलायें ।
5- घर के पूजा स्थल पर सिद्ध शनि यन्त्र की स्थापना कर उसकी हर रोज पूजा करें, पूजा के समय शनि मंत्र – ॐ शं शनैश्चराय नमः की कम से कम एक माला (108 मंत्र) का जप अवश्य करें ।
6- शनिवार की शाम को सरसो के तेल का दीपक जलाकर घर पर या पीपल के पेड़ के नीचे शनि देव के इस तांत्रिक मंत्र का जप 108 बार करने से सभी कष्टों का निवारण हो जाता हैं । जप करने के बाद गरीबों के पीले फल का दान करें ।
मंत्र
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः ।।
इस प्रकार श्री शनिदेव की पूजा करने से वे जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं और शरणागत साधक के सभी दुःखों का नाश कर सुख सौभाग्य प्रदान करते हैं ।
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