सावन में इस चमत्कारी मंत्र के जाप से मिलेगी कष्टों से मुक्ति, रखनी होगी ये सावधानियां

सावन माह शुरु हो चुका हैं। इस माह में सभी भक्त शिव शंकर को प्रसन्न करने में लग गए हैं क्योंकी इस माह में भोलेनाथ जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। भोलेनाथ को सबसे प्रिय होता है सावन माह, आपकी हर मनोकामना पूरी करने के साथ-साथ आपके दुखों को नाश भी करते हैं भगवान शिव। इस माह में की गई पूजा-अर्चना व साधना का दोगुना फल प्राप्त होता है। हम मंत्रों का जाप करके भी भोलेनाथ की कृपा पा सकते हैं आइए जानते हैं कौन से मंत्र का जाप करने से आपको सभी कष्टों से मुक्ति मिलेगी व इसके जाप से आप कई लाभ उठा सकते हैं। हम जिस चमत्कारी मंत्र की बात कर रहे हैं वो हे महामृत्युंजय मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से अकाल मृत्यु टल जाती है। वहीं आरोग्यता की भी प्राप्ति होती है। महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना बहुत फलदाई होता है। जितना शक्तिशाली मंत्र होता है यदि मंत्र जाप करते समय सावधानियां ना बरती जाएं तो यह अतना ही खतरनाक भी होता है। इस मंत्र के जाप में कुछ सावधानियां रखना चाहिए जिससे किसी भी प्रकार के अनिष्ट की संभावना ना बनें। वैसे तो मंत्र के बहुत से लाभ होते हैं आइए जानते हैं किस-किस तरह से होते हैं और मंत्र जाप के दौरान क्या-क्या सावधानियां रखनी चाहिए...

1. स्नान करते समय शरीर पर लोटे से पानी डालते वक्त इस मंत्र का जाप करने से स्वास्थ्य-लाभ होता है।

2. दूध में निहारते हुए इस मंत्र का जाप किया जाए और फिर वह दूध पी लिया जाए तो यौवन की सुरक्षा में सहायता मिलता है।

3. महामृत्युंजय मंत्र से शिव पर अभिषेक करने से जीवन में कभी सेहत संबंधी समस्याएं नहीं आती।

shiv mantra

चमत्कारी है महामृत्युंजय मंत्र लेकिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते समय में 16 सावधानियों का रखें खास ध्यान

1. महामृत्युंजय मंत्र का उच्चारण शुद्ध और साफ होना बहुत जरुरी है, मंत्र जप का उच्चारण शुद्धता से करें वरना अर्थ का अनर्थ हो सकता है।

2. एक निश्चित संख्या में जप करना चाहिए। पूर्व दिनों में जपे गए मंत्रों से आने वाले दिनों में मंत्रों का जाप बढ़ा सकते हैं लेकिन कम नहीं करना चाहिए।

3. मंत्र का उच्चारण होठों से बाहर नहीं आना चाहिए। यदि अभ्यास न हो तो धीमे स्वर में जप करें।

4. जप काल में धूप-दीप निरंतर जलते रहना चाहिए।

5. रुद्राक्ष की माला पर ही जप करना चाहिए।

6. माला को गौमुखी में रखें। जब तक जप की संख्या पूर्ण न हो, माला को गौमुखी से बाहर न निकालें।

7. जप करते समय शिव जी की प्रतिमा, तस्वीर, शिवलिंग पास में रखना सबसे ज्यादा अनिवार्य होता है।

8. महामृत्युंजय के सभी जप कुशा के आसन पर बैठकर ही करना चाहिए।

9. जप काल में दुग्ध मिले जल से शिवजी का अभिषेक करते रहें या शिवलिंग पर चढ़ाते रहें।

10. महामृत्युंजय मंत्र के सभी प्रयोग पूर्व दिशा की तरफ मुख करके ही करें।

11. जप करने का स्थान सुनिश्चित कर लें, जिस स्थान पर जप का शुभारंभ हो उसी स्थान पर हर रोज़ वहीं करना चाहिए।

12. जपकाल में ध्यान पूरी तरह मंत्र में ही रहना चाहिए, मन को इधर-उधर न भटकाएं।

13. जपकाल के दौरान आलस्य व उबासी को न आने दें।

14. जप काल में किसी से झूठ ना बोले और ऐसी बातें भी न करें।

15. जपकाल में स्त्री सेवन न करें।

16. जपकाल में मांसाहार त्याग दें।



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