रामचरितमानस की इन नौ चौपाइयों में समाहित हैं हर समस्या का समाधान

भगवान श्रीराम जी के जीवंत जीवन दर्शन श्रीरामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्रीरामचरितमानस में श्रीरामशलाका प्रश्नावली की रचना भी की थी । श्रीरामप्रश्नावली एक ऐसी पहेली जिसमें हर समस्याओं का समाधान समाहित हैं, जिसमें किसी भी प्रश्न का उत्तर खोजने पर मिल जाता हैं । इस प्रश्नावली की खासियत यह है कि जब भी किसी को अपने अभीष्ट प्रश्न का उत्तर प्राप्त करने की इच्छा हो तो भगवान श्रीराम का ध्यान करते हुए आंख बंद कर अपने प्रश्न का चिंतन करते हुए प्रश्नावली पहेली में अपने दाहिने हाथ की अंगुली से घुमाकर एक खाने में रोक दें ।

 

जिस खाने में हाथ रूका है उसे अलग कागज पर लिख लें । अब उसी खाने से 'नवें खाने तक आगे बढ़ें फिर नवें खाने पर पहुंचने के बाद उस शब्द को कागज पर लिख लें । इस तरह पुनः 'नवें खाने की ओर बढ़ें और शब्दों को लिखते जाएं । ऐसा तब तक करते रहें जब तक आप सर्वप्रथम अंगुली वाले पेंसिल के निशान तक न पहुंच जाएं । ऐसा करने पर एक चौपाई तैयार हो जाती है । उदाहरण के लिए मान लीजिए आपने अपने प्रश्न का ध्यान करते हुए 'म' शब्द पर अपनी अंगुली रखी इसके बाद नवें खाने पर गिनते हुए शब्दों को कागज पर लिखा और फिर आपने पुनः उसी 'म' शब्द तक पहुंचने पर यह चौपाई बनी ।

 

1- हो इ हि सो इ जो रा म र चि रा खा ।
को क रि त र्क ब ढ़ा वै सा खा ।
उक्त चौपाई बालकाण्ड के अंतर्गत शिव और पार्वती के संवाद में है ।
फल- प्रश्नकर्ता को इस उत्तरस्वरूप, कार्य होने में संदेह है, अतः उसे भगवान पर छोड़ देना उचित होगा ।

 

2- सुनु सिय सत्य असीस हमारी ।
पूजिहि मन कामना तुम्हारी ।।
उक्त चौपाई बालकाण्ड में श्री सीताजी के गौरीपूजन के प्रसंग में है । गौरी जी ने सीता जी को आशीर्वाद दिया है।
फल- प्रश्नकर्ता का प्रश्न उत्तम है। कार्य सिद्ध होगा ।

 

3- प्रबिसि नगर कीजे सब काजा ।
ह्दयं राखि कोसलपुर राजा ।।
उक्त चौपाई सुंदरकांड में हनुमानजी के लंका में प्रवेश करने के समय की है ।
फल- भगवान का स्मरण करके कार्य आरंभ करो, सफलता मिलेगी ।

 

4- उघरहिं अंत न होइ निबाहू ।
कालनेमि जिमि रावन राहू ।।
उक्त चौपाई बालकाण्ड के आरंभ में सत्संग-वर्णन के प्रसंग में है।
फल- इस कार्य में भलाई नहीं है । कार्य की सफलता में संदेह है ।

 

5- बिधि बस सुजन कुसंगत परहीं ।
फनि मनि सम निज गुन अनुसरहीं ।।
उक्त चौपाई भी बालकाण्ड के आरंभ में सत्संग-वर्णन के प्रसंग में है ।
फल- खोटे मनुष्यों का संग छोड़ दें । कार्य पूर्ण होने में संदेह है ।

 

6- मुद मंगलमय संत समाजू ।
जो जग जंगम तीरथराजू ।।
उक्त चौपाई बालकाण्ड में संत समाजरूपी तीर्थ के वर्णन में है ।
फल- प्रश्न उत्तम है । कार्य सिद्ध होगा ।

 

7- गरुल सुधा रिपु करहिं मिताई ।
गोपद सिंधु अनल सितलाई ।।
उक्त चौपाई हनुमानजी के लंका में प्रवेश के समय की है ।
फल- प्रश्न बहुत श्रेष्ठ है । कार्य सफल होगा ।

 

8- बरुन कुबेर सुरेस समीरा ।
रन सन्मुख धरि काहुं न धीरा ।।
उक्त चौपाई लंकाकाण्ड में रावण की मृत्यु के पश्चात मंदोदरी के विलाप के प्रसंग में है।
फल- कार्य पूर्ण होने में संदेह है।

 

9- सुफल मनोरथ होहुं तुम्हारे ।
रामु लखनु सुनि भए सुखारे ।।
उक्त चौपाई बालकाण्ड में पुष्पवाटिका से पुष्प लाने पर विश्वामित्रजी का आशीर्वाद है ।
फल- प्रश्न बहुत उत्तम है । कार्य सिद्ध होगा ।

 

इस तरह श्रीरामशलाका प्रश्नावली पहेली से कुल नौ चौपाइयां बनती हैं, जिनमें सभी प्रकार के प्रश्नों के उत्तर दिए गए हैं ।

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