रूद्र महायज्ञ के बाद पांडवों ने स्थापित किया था शिवलिंग, सावन में सौभाग्य वालों को होते हैं दर्शन

उत्तरप्रदेश के बाराबंकी तहसील रामनगर में स्थित लोधेश्वर महादेव मंदिर हिंदूओं की आस्था का केंद्र है। यह मंदिर पांडवकालीन मंदिर है जो की भगवान शिव को समर्पित है। लोधेश्वर मंदिर का शिवलिंग देशभर के 51 शिवलिंगों में शामिल है। महाभारत में भी इस प्राचीन शिव मंदिर का कई बार उल्लेख किया गया है।मान्यताओं के अनुसार कहा जाता हैं की लोधेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना पांडवों द्वारा महाभारत काल में की गई थी और पांडवों नें इस मंदिर की स्थापना अज्ञातवास के दौरान की थी। इस पूर क्षेत्र में पांडव कालीन अवशेष को देखा जा सकता है क्योंकि अज्ञातवास के दौरान पांडव यहां छुपे थे। यहां घना जंगल होने के कारण बाराबंकी को उस समय बाराह वन के नाम से जाना जाता था।

ऐसा कहा जाता है कि पांडवों ने यहां वेद व्यास मुनि की प्रेरणा से घाघरा नदी के किनारे कुल्छात्तर नामक जगह पर रूद्र महायज्ञ का आयोजन किया था। लोधेश्वर महादेव से 2 किलोमीटर उत्तर नदी के पास आज भी कुल्छात्तर में यज्ञ कुंड के प्राचीन निशान मौजूद हैं, उसी समय यहां पांडवों ने इस शिवलिंग की स्थापना भी की थी। पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान रामनगर से सटे सिरौली गौसपुर इलाके में पारिजात वृक्ष को लगाया था और गंगा दशहरा के दौरान खिलने वाले सुनहरे फूलों से भगवन शिव की आराधना की थी, विष्णु पुराण में यह उल्लेख है कि इस पारिजात वृक्ष को भगवान कृष्ण स्वर्ग से लाए थे और अर्जुन ने अपने बाण से पाताल में छिद्र कर इसे स्थापित किया था।

shiv mandir

मंदिर में है जलकुंड

लोधेश्वर महादेव मंदिर में महाभारत के समय का एक जलकुंड है। इस कुंज को पांडव-कुप्प के नाम से जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस पानी को पीता हैं उसकी कई बीमारियां दूर हो जाती है। इस मंदिर में पूरे देश से लाखों-हजारों श्रद्धालु कावड़ लेकर शिवलिंग पर जल अर्पित करने आते हैं। श्रद्धालु अपनी कावड़ यात्रा कानपुर देहत के वाणेश्वर, बांदा, जालौन और हमीरपुर से भगवान शिव की पूजा करते हुए आखिरी में अपनी कावड़ यात्रा लोधेश्वर महादेव पर जल अर्पित कर यात्रा का समापन करते है।

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सावन माह में लगता है मेला

सावन माह में मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए भारी भीड़ उमड़ती है। देर रात से शिवभक्त जल चढ़ाने के लिए लाइन में लग जाते हैं। सावन में शिव आराधना और पूजा-अर्चना का बड़ा महत्व है। यहां सावन भर मेला लगता है। मंदिर के पुजारी द्वारा मंदिर में तैयारियां पूरी हैं। वहीं सुरक्षा व्यवस्था के लिए इस बार प्रशासन ने बैरिकेड्स सहित अन्य व्यवस्था करवाई है। पुलिस के जवानों के अलावा महिला पुलिस और पीएसी भी तैनात की गई है। जलाभिषेक के समय व्यवस्था संभालने के लिए तहसीलों के एसडीएम लगाए गए हैं।



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